इस दिन है गुरु पूर्णिमा, पढ़िए गुरु और शिष्य की अनोखी कथा
महाभारत के रचयिता महान ऋषि वेद व्यास का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। इसी के चलते गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि इस दिन लोग ऋषि वेद व्यास, अपने गुरु, इष्ट और आराध्य देवताओं की पूजा करते हुए, उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 24 जुलाई को मनाया जाने वाला है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भीष्म और उनके गुरु की कथा।
गुरू की आज्ञा से उनके ही साथ युद्ध करने के लिए राजी हुए भीष्म- काशीराज की कन्या अंबा गुरू परशुराम की शरण में पहुंची और उन्हें कहा कि आपके शिष्य भीष्म ने मेरा लगन मंडप से हरण किया है, लेकिन अब मुझसे विवाह करने को तैयार नहीं है। परशुराम ने भीष्म को बुलाया और उनसे अंबा से विवाह करने को कहा। भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा का हवाला देते हुए इसमें असमर्थता जाहिर की।
तब परशुराम ने कहा- “फिर मुझसे युद्ध करो।”। भीष्म अपने ही गुरू से युद्ध करने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन परशुराम ने इसे गुरुआज्ञा कहा। ऐसे में भीष्म के पास अपने गुरू से युद्ध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। गुरू की आज्ञा पर भीष्म ने गुरू के साथ ही युद्ध किया। कई दिनों तक चला भीष्म-परशुराम युद्ध बिना परिणाम के ही समाप्त हो गया।