एक बार फिर 15 साल बाद होने वाले मेयर चुनाव का मुकाबला होगा त्रिकोणीय..
15 साल बाद एक बार फिर से नगर निगम में इतिहास दोहराने जा रहा है। साल 2008 की तरह अगले साल जनवरी माह में होने वाले मेयर चुनाव का मुकाबला त्रिकोणीय होगा। भाजपा और आम आदमी पार्टी की तरह कांग्रेस भी मेयर पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में खड़ा करने जा रही है। इससे पहले मेयर पद के लिए मुकाबला दो उम्मीदवारों के बीच ही होता रहा है।
नगर निगम में तीन प्रमुख दल
पहले नगर निगम में कांग्रेस और भाजपा ही मुख्य दल थे, लेकिन अब नगर निगम में तीन प्रमुख दल हो गए हैं। इस साल हुए मेयर चुनाव का कांग्रेस ने बहिष्कार किया था। लेकिन इस बार कांग्रेस का दावा है कि वह मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में शामिल होकर मतदान करेंगे। गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अब नेताओं की नजर नए साल के जनवरी माह के पहले सप्ताह में होने वाले मेयर चुनाव पर टिक गई है। मेयर चुनाव के लिए अगले दिनों खूब राजनीति गरमाएगी। इसके साथ ही दल बदल की राजनीति भी सक्रिय रहेगी।
चुनाव करवाना भी नगर निगम के एक चुनौती
साल 2008 में प्रदीप छाबड़ा मेयर बने थे जोकि अब आम आदमी पार्टी के सह प्रभारी है। मेयर चुनाव में तीन उम्मीदवार मैदान में होने से पार्षद दो बार मतदान करेंगे। पहले तीनों उम्मीदवारों को वोट डाले जाएंगे। गिनती में जिस उम्मीदवार को सबसे कम वोट मिलेंगे वह मैदान से बाहर हो जाएगी। उसके बाद पहले और दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा। ऐसे में यह चुनाव करवाना भी नगर निगम के एक चुनौती रहेगी। इस समय भाजपा के 14, कांग्रेस के छह, आम आदमी पार्टी के 14 और अकाली दल का एक पार्षद है। तीन उम्मीदवार मैदान में होने के कारण कांग्रेस के पास जीत का आकड़ा नहीं है। ऐसे में वह पहली बार मतदान होने पर सबसे कम वोट कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है। इस कारण दूसरी बार आम आदमी पार्टी और भाजपा का उम्मीदवार के बीच मुकाबला होगा। ऐसी सूरत में क्रास वोटिंग की काफी उम्मीद है।
तीन उम्मीदवार होंगे मैदान में, भाजपा और आप में होगी टक्कर
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एचएस लक्की ने कहा कि इस बार कांग्रेस पिछली बार की तरह मेयर चुनाव का बहिष्कार नहीं करेगी। मेयर पद के लिए कांग्रेस अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। कांग्रेस चुनाव जीतने का पूरा प्रयास करेगी। कांग्रेस के पास नगर निगम को चलाने का भाजपा और आप के मुकाबले में बेहतर अनुभव है। कांग्रेस ने बिना टैक्स लगाए 15 साल तक नगर निगम चलाया है।