एमपी हाईकोर्ट ने आबकारी नीति विवाद पर जारी किया अंतरिम आदेश
मध्य प्रदेश में शराब ठेकेदारों द्वारा राज्य सरकार की आबकारी नीति में किए गए संशोधन को चुनौती देने के मामले में, गुरुवार को HC ने अहम अंतरिम आदेश जारी किया।
कोर्ट ने सरकार की नीति के पक्ष में आदेश जारी करते हुए शराब ठेकेदारों से कहा कि या तो वे नई नीति मंजूर करें या अपनी दुकान सरेंडर करें। सरेंडर करने वाले ठेकेदारों को भी राहत देते कोर्ट ने सरकार को उनसे कोई रिकवरी नहीं करने का निर्देश दिया।
HC ने कहा कि सरकार ने जो नई नीति बनाई है, वो जिन ठेकेदारों को मंजूर है वे तीन दिन के अंदर शपथ पत्र के साथ उसके समक्ष रखें। जिन्हें नीति मंजूर नहीं है, वे अपनी दुकान सरेंडर कर सकते हैं। नई नीति को नहीं मानने वालों से सरकार कोई रिकवरी नहीं करेगी।
कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जो लोग नई नीति मानेंगे वे सरकार के नियमानुसार दुकानें चला सकेंगे। जो नहीं मानेंगे, उन्हें दुकानों को सरेंडर करना होगा, जिनका सरकार दोबारा ठेके पर दे सकेगी।
ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाए : HC
इसके पहले बुधवार को राज्य सरकार और शराब ठेकेदारों के बीच निविदा की शर्तों को लेकर उपजे विवाद की सुनवाई HC में जारी रही थी। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच के समक्ष दोनों पक्षों की ओर से दिग्गज वकीलों ने चार घंटे तक दलीलें दीं। समय की कमी के चलते कोर्ट ने मामले की आगे सुनवाई गुरुवार को भी करने के निर्देश देकर कहा था कि इस बीच ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न की जाए।