यदि ऐसे लक्षण आप में है, तो समझ लीजिए शनि है मेहरबान

Shani Gochar 2020: जनमानस में अक्सर शनि की वक्रदृष्टि, शनि के प्रकोप, शनि के दंड आदी की चर्चा होती है, लेकिन शनि हमेशा दंड नहीं देते है। उनकी मेहरबानी व्यक्ति को मालामाल बना देती है और अखंड सौभाग्य का वरदान देती है। यदि आपका शनि शुभ है या शनि पर आपकी कृपा है तो आप कुछ संकेतों के जरिए इसको काफी अच्छी तरह से समझ सकते हैं। शनि की कृपा की कुछ ऐसी खास बातें होती है, जो मनुष्य को उसके आचार-विचार और शारीरिक लक्ष्णों में दिखाई देती है। आइए जानते हैं शनि के शुभ लक्ष्णों को।

अनुशासनप्रिय होता है जातक

शनि यदि किसी व्यक्ति पर मेहरबान है तो उसके सामान्य जीवन में कुछ खास संकेत दिखाई देते हैं। ऐसे व्यक्ति का शरीर दुबला पतला होगा है और उसके बाल काफी घने होते हैं। शनि का कृपापात्र व्यक्ति अनुशासन के सांचे में ढला हुआ होता है। धीरे-धीरे अध्यात्म की ओर अग्रसर होता जाता है। ऐसे लोगों को छोटी उम्र में हड्डियों के रोग लग जाते हैं। पैरों में मोच आना, हाथ-पैर की हड्डी टूटना जोड़ों में दर्द रह सकता है।

ऐसे लोग बड़ी से बड़ी परेशानी से निकलने में सक्षम होते हैं। दिक्कत कितनी भी बड़ी हो समाधान देर-सबेर निकल आता है। यानी कितनी भी तकलीफें आए इनको ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता है। इस तरह के व्यक्ति किसी की मदद लेना पसंद नहीं करते हैं। न ही किसी की मदद से आगे बढ़ते हैं। ऐसे लोग जमीन से अपना सफर शुरू करके बुलंदी पर पहुंच जाते हैं। इस तरह के लोग अंदर से ज्यादातर एकांतवासी होते हैं। असल में ये रिश्तों की हकीकत को समझते हैं। शनिदेव मानव को भ्रम कि स्थिति से बाहर रखते हैं। शनि के कृपापात्र लोग एकांतवासी होते है अर्थात इनको छल-कपट पसंद नहीं होता है इसलिए इनकी मित्रता कम लोगों से होती है।

समाजसुधारक होते हैं

शनि महाराज न्याय के देवता होते हैं इसलिए शनिप्रिय लोग खुद सही रास्ते पर चलते हैं और दूसरों को भी सही रास्ते पर चलने की सलाह देते हैं। संन्यासी और समाज सुधारक होते हैं। इस वजह से ये लोगों से दूरी बनाकर भी रखते हैं। शनि प्रधान व्यक्ति को 35 साल की उम्र के बाद सफलता मिलने के योग ज्यादा होते हैं। ये जो भी अपनी जिंदगी में हासिल करते हैं वह अपने बलबूते हासिल करते हैं इसलिए कर्मप्रधान होते हैं। ये लक्षण यदि आपमें है तो समझ लीजिए शनि की कृपा आपके ऊपर है, लेकिन शनि देव की मेहरबानी के बावजूद जीवन में संघर्ष और सफलता दोनों का दौर जारी रहता है।

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