लोक कलाओं एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति विभाग के नयी पहल

  • ग्राम पंचायतों को वादयंत्र खरीद के लिए संस्कृति विभाग द्वारा
    30 हजार रूपये की धनराशि अनुदान के रूप में प्रदान की जायेगी
  • एक सेट वादयंत्र में (ढोलक, हारमोनियम, झांज, मंजीरा, करताल) आदि शामिल होंगे -जयवीर सिंह

लखनऊ: 05 जुलाई, 2023

ग्राम पंचायत स्तर पर स्थानीय लोक कलाओं एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन, प्रशिक्षण तथा गुरू शिष्य परम्परा को बनाये रखने के लिए प्रदेश की ग्राम पंचायतांे को एक सेट वादयंत्र खरीद के लिए 30 हजार रूपये की धनराशि संस्कृति विभाग द्वारा अनुदान के रूप में प्रदान की जायेगी। इस वादयंत्र के एक सेट में हारमोनियम, ढोलक, झांज, मंजीरा, करताल तथा घंुघरू आदि शामिल होंगे।

यह जानकारी आज प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि यह निर्णय संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को जीवन्त बनाये रखने के लिए लिया गया है। उन्होंने बताया कि एक सेट वादयंत्र की धनराशि 30 हजार से अधिक होने पर संस्कृति विभाग द्वारा 15 हजार रूपये तक का अधिकतम अनुदान संबंधित ग्राम पंचायत को दिया जायेगा। शेष धनराशि संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा वहन की जायेगी। वादयंत्रों को उपलब्ध कराये जाने संबंधित कार्य योजना के संबंध में प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन श्री मुकेश कुमार मेश्राम की ओर से आवश्यक शासनादेश जारी कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि लोक कलायें हमारी समृद्ध संस्कृति का अटूट हिस्सा रही है। ग्रामीण अंचलों में लोक कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन के लिए वादयंत्रों की अहम भूमिका होती है।

पर्यटन मंत्री ने कहा कि लोक कलाओं एवं कलाकारों को संरक्षण प्राप्त न होने से बहुत सी लोक कलायें तथा वादयंत्र विलुप्त की कगार पर पहुंच चुके हैं। ऐसे स्थिति में लोक कलाओं एवं वादयंत्रों को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए अनुदान की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि आज भी ग्रामीण अंचलों में लोक कलाकारों द्वारा विभिन्न अवसरों पर लोक कलाओं का प्रस्तुतीकरण कर जीवन्त बनाये रखने का प्रयास किया जा रहा है। उनके मानवर्धन के लिए वादयंत्रों का सेट दिये जाने का निर्णय लिया गया है।

प्रथम चरण में जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक जनपद के 50 ग्राम पंचायतों, जहां सांस्कृतिक गतिविधियॉ निरन्तर संचालित की जाती हों का चयन कर संस्कृति विभाग उ0प्र0 को संस्तुति भेजी जायेगी। जिलाधिकारी से पर्याप्त मात्रा में आवेदन प्राप्त न होने की दशा में जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के माध्यम से अग्रसारित आवेदन पत्र सीधे स्वीकार्य किये जा सकेंगे। पूर्व में भजन कीर्तन मण्डली/गुरू शिष्य परम्परा, स्थानीय लोकगीत, लोकनृत्य, भजन, संस्कार गीत, नुक्कड़ नाटक आदि सांस्कृति कार्यक्रमों का संचालन करने वाली ग्राम पंचायतों को अनुदान दिये जाने में प्राथमिकता दी जायेगी।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि वादयंत्रों के सेट पर संस्कृति विभाग उ0प्र0 का नाम अंकित कराया जाना अनिवार्य होगा। अनुदान की धनराशि सीधे आवेदक ग्राम पंचायत के खाते में हस्तान्तरित की जायेगी। वादयंत्रों के रख-रखाव एवं मरम्मत का दायित्व संबंधित ग्राम पंचायत का होगा। इन वादयंत्रों का उपयोग सांस्कृतिक उन्नयन, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, पर्यटन संवर्द्धन, स्वच्छ भारत मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, महिला सशक्तिकरण, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, ग्रामीण संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए तथा सरकार द्वारा संचालित लाभार्थी योजनाओं के प्रचार प्रसार आदि के लिए किया जायेगा।

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