सुभाषचंद्र बोस जयंती 2020: नेताजी का जोशीला भाषण, सुनिये दुर्लभ रिकार्डिंग

 देश को आज़ादी दिलाने में अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण योगदान रखने वाले सुभाषचंद्र बोस की आज 122 वीं जयंती है। स्‍वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को कभी नहीं भुलाया जा सकता। आज़ाद हिंद फौज के समय दिया गया उनका नारा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आज़ादी दूंगा” तो बहुत मशहूर है लेकिन बोस ने अपने जीवन में कई सशक्‍त भाषणों से अवाम का आह्वान किया। अप्रवासी भारतीयों को भी आज़ादी के संग्राम में उतरकर योगदान देने पर उनका अधिक ज़ोर था। आइये जापान की राजधानी टोकियो में उनके एक जोशीले भाषण की दुर्लभ क्‍लीपिंग व फुटेज देखते हैं। इसमें उन्‍होंने पूर्वी एशिया में बसे भारतीयों को संबोधित किया और ओजस्‍वी भाषण से उनके मन में जोश भरने का काम किया।

भाषण के मुख्‍य अंश :

– आज जबकि मैं टोकियो में हूं और जो बोल रहा हूं, मुझे विश्‍वास है आप उसे समझेंगे।

– आपने जिस गर्मजोशी से मेरा स्‍वागत किया उसके लिए मैं आप सभी को शुक्रिया कहना चाहूंगा। आपके सहयोग से हम अपनी मातृभूमि को मुक्‍त कराने में सफलता प्राप्‍त करेंगे।

– आपको पता है कि मैं एक आशावादी हूं। आपके लिए मैं इतना ही कह सकता हूं कि आप सब पर मुझे गर्व है।

– जब विश्‍व के देश हमारी सहायता करते हैं तो हमारी चुनौतियां स्‍वयं ही आसान हो जाती हैं जितना कि इसके बिना नहीं हो पातीं।

– इसे लेकर कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी कि एशिया का कोई भी भारतीय व्‍यक्ति आज़ादी के संग्राम के लिए काम नहीं करेगा।

– कई देशों ने, खासकर जापान ने समय-समय पर हमारी मदद की है। मैं भी यही सब करता रहा हूं। लेकिन हमारे देश को आज़ाद करने की जि़म्‍मेदारी हम किसी दूसरे पर नहीं डालेंगे, क्‍योंकि यह हमारे राष्‍ट्र के सम्‍मान के खिलाफ होगा।

– प्रत्‍येक भारतीय, वह चाहे जहां रह रह हो, उसे देश की आज़ादी के लिए अपना योगदान देना होगा। जीत तक लड़ाई करना सबका फ़र्ज है।

– मैं मानता हूं कि जब तक कि विदेश में रह रहे सारे भारतीय एकजुट होकर आंदोलन में सहभागिता नहीं करेंगे, तब तक देश आज़ाद नहीं हो सकेगा।

– अपने देश से बाहर रह रहे भारतीय अपनी मातृभूमि के लिए अधिकतम सेवाएं दें। इसके लिए अंतरराष्‍ट्रीय संघर्ष से गुज़रना होगा।

– यहां पूर्वी एशिया में आपने देखा होगा कि किस प्रकार यहां के लोगों के मन में भारत की आज़ादी को लेकर सहानूभूति है।

– हमें ये हक़ नहीं है कि हम किसी से मदद की उम्‍मीद रखें जब तक कि अपने स्‍तर पर हमारे सारे प्रयास चुक नहीं जाते।

– हर हाल में हमारे भाइयों, बहनों, देशवासियों ने बेहतर काम किया है, लेकिन दुश्‍मन क्रूर है।

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