हम सभी को देश के महापुरुषों व संस्कृति का सम्मान करना चाहिए-श्रीमती आनंदीबेन पटेल

  • राज्यपाल जी ने ‘गुरू गोविन्द सिंह द्वार’ तथा ‘गुरू तेग बहादुर सिंह मार्ग’ का किया लोकार्पण
  • राज्यपाल जी ने सिक्ख इतिहास पर आधारित पुस्तक “सिक्ख संघर्ष एवं शहादते” का किया विमोचन
  • हम सभी को देश के महापुरुषों व संस्कृति का सम्मान करना चाहिए
  • धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है -श्रीमती आनंदीबेन पटेल
  • कोरोना काल में सिक्ख समाज के द्वारा दिया गया योगदानसभी के लिए अनुकरणीय है – श्री ब्रजेश पाठक
  • सभी गुरूओं ने राष्ट्र की रक्षा हेतु समाज को तैयार किया
  • धर्म और राष्ट्र की रक्षा हेतु हमारी बलिदानी परम्परा इसका अनूठा उदाहरण है-महापौर संयुक्ता भाटिया

    लखनऊः उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज लखनऊ के राजेन्द्र नगर में लखनऊ नगर निगम के सहयोग से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यालय ‘भारती भवन’ के सामने सिक्ख धर्म के गुरु गोविन्द सिंह जी के नाम से नवनिर्मित ‘गुरू गोविन्द सिंह द्वार’ तथा ‘गुरू तेग बहादुर सिंह मार्ग’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने अपने सम्बोद्धन में कहा कि गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने तत्कालीन शासक वर्ग की नृशंस एवं मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने के लिए बलिदान दिया।

    उन्होंने कहा कि वास्तव में मानवता के शिखर पर वही मनुष्य पहुंच सकता है, जिसने ‘पर में निज’ को पा लिया हो। गुरू तेग बहादुर सिंह जी का आदर्श जीवन हम सभी को ईश्वरीय निष्ठा के साथ समता, करूणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे मानवीय गुणों के लिये प्रेरित करता है।

    श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि गुरू गोविन्द सिंह जी ने समाज से जुल्म और पाप को समाप्त करने का बीड़ा उठाया और गरीबों एवं असहायों की रक्षा के लिये सदैव तत्पर रहे। उन्हें विश्व का सबसे बड़ा बलिदानी पुरूष कहा जाता है। राज्यपाल जी ने बताया कि गुरु गोविन्द सिंह जी ने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया यदि किसी ने गुरु जी का अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता और सौम्यता से उसे परास्त कर दिया। वे बचपन से ही सरल, सहज, भक्ति भाव वाले कर्मयोगी थे। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है।

    राज्यपाल जी ने कहा कि हम सभी को देश के महापुरुषों व संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। हमारे संविधान में सभी को अपनी आस्था के अनुसार पूजा-पाठ करने एवं उसे मानने का अधिकार दिया गया है। हमारी भारतीय संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः’ की रही है। इसलिये हमे महापुरूषों की शिक्षाओं से प्रेरणा प्राप्त कर सत्य, प्रेम, अहिंसा, शांति, एकता और सद्भाव के रास्ते पर चलकर देश को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग देना चाहिये। महापुरूषों की शिक्षाओं पर ही चलकर हमारा देश एक बार फिर विश्व गुरू बन सकता है।

    राज्यपाल जी ने इस अवसर पर सिक्ख इतिहास पर आधारित पुस्तक “सिक्ख संघर्ष एवं शहादते” का विमोचन किया तथा कोरोना योद्धाओं को सम्मानित किया।
    विधि एवं न्याय मंत्री श्री ब्रजेश पाठक जी ने भारतीय संस्कृति के समस्त गुरूओं को नमन करते हुए कहा कि गुरु परम्परा भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परम्परा है, जिसने देश की रक्षा हेतु समाज को तैयार किया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सिक्ख समाज के द्वारा दिया गया योगदान सभी के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने सभी समुदायों से अपील की कि राष्ट्र हित में सभी वर्गों को आगे आकर अपना सर्वोत्तम योगदान देना चाहिये।

    महापौर संयुक्ता भाटिया ने समस्त गुरूओं को नमन करते हुए कहा कि राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा में सिक्ख समाज हमेशा आगे रहा है। सभी गुरुओं ने राष्ट्र की रक्षा हेतु समाज को तैयार किया। धर्म और राष्ट्र की रक्षा हेतु हमारी बलिदानी परम्परा इसका अनूठा उदाहरण है। इसलिये हम सभी का ये कर्तव्य है कि परिवार के साथ-साथ समाज और देश के विकास के लिये तन, मन, धन से समर्पित होकर कार्य करें।

    इस अवसर पर लखनऊ के नगर आयुक्त श्री अजय कुमार द्विवेदी, डॉ. गुरमीत सिंह, परविन्दर सिंह, राजेन्द्र सिंह बग्गा, सरदार विजेन्दर पाल सिंह, मंजीत सिंह तलवार, आर.एस.एस. के प्रान्तीय प्रचारक कौशल जी, समस्त गुरूद्वारों के अध्यक्ष, सभासद राजेश दीक्षित सहित बड़ी संख्या में अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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