अब राशन की दुकानों तक आम जनता को पहुंचना होगा आसान, योगी सरकार ने लिया महत्वपूर्ण निर्णय
राशन की दुकानों तक पहुंचना होगा आसान, गलियों की बजाए सुगम स्थलों पर होंगी दुकानें
- आम जनता के साथ खाद्यान्न वाहनों की सुविधा को देखते हुए
योगी सरकार ने जारी किया आदेश - मनरेगा के अंतर्गत फूड ग्रेन स्टोरेज का निर्माण कर उनका उपयोग
- उचित दर दुकानों के रूप में कर सकती है सरकार
- बरेली संभाग द्वारा विकसित कराए गए मॉड्यूल के आधार पर हो सकती है सार्वजनिक वितरण प्रणाली की उचित दर दुकानों के निर्माण की कार्यवाही
लखनऊ, 29 जून। तंग संकरी गलियों में सरकारी राशन की दुकानों तक खाद्यान्न पहुंचने में होने वाली समस्या के साथ ही आम जनता
को होने वाली दुश्वारियों का संज्ञान लेते हुए योगी सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सरकार ने ऐसी दुकानों को सुगम स्थलों
में नई दुकानों में शिफ्ट करने का आदेश जारी किया है। इन दुकानों तक आम लोगों की पहुंच आसान करने के साथ ही खाद्यान्न ले
जाने वाले वाहन भी दुकानों तक सीधे पहुंच सकें, इसके लिए मंडलायुक्त बरेली व संभागीय खाद्य नियंत्रक, बरेली संभाग द्वारा
विकसित कराए गए मॉड्यूल के आधार पर दुकानों को विकसित किए जाने का सुझाव दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की धारा 24(2)(ए) में यह व्यवस्था दी गई है कि प्रदेश सरकार सब्सिडाइज्ड दरों पर खाद्यान्न केंद्र सरकार के नियत गोदामों से प्राप्त कर अधिकृत एजेंसियों के माध्यम से उचित दर की दुकानों (राशन दुकानों) तक डोर स्टेप डिलीवरी कराएगी। संकरी गलियों में दुकानें होने से आ रही समस्या के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है।
पंचायत भवन एवं सामुदायिक भवनों के नजदीक होंगी दुकानें
खाद्यान्न के डोर स्टेप डिलीवरी के सिंगल स्टेज व्यवस्था के अंतर्गत खाद्यान्न के वाहनों का उचित दर दुकान तक सुगमतापूर्वक पहुंचना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन उचित दर विक्रेताओं की दुकानें संकरी गलियों में अवस्थित होने के कारण खाद्यान्न के वाहन सुगमतापूर्वक नहीं पहुंच सकते हैं। इसके साथ ही आम जन-मानस को खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए दुकान तक पहुंचने में कठिनाई होती है। ऐसी स्थिति में पूर्व में जारी आदेश में ये व्यवस्था दी गई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम सभाएं तथा शहरी क्षेत्रों में नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, नगर निगम अपने आर्थिक स्रोतों, मनरेगा आदि योजनाओं से राशन की दुकानों का निर्माण करेंगे। ये निर्माण ग्रामीण क्षेत्र में यथासंभव पंचायत भवन एवं शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक भवनों के नजदीक स्थान की उपलब्धता के आधार पर किए जाने चाहिए।
फूड ग्रेन स्टोरेज का भी किया जा सकता है उपयोग
आदेश में ये भी कहा गया है कि सचिव, भारत सरकार उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय एवं ग्रामीण विकास
मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा यह अवगत कराया गया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के कार्यान्वयन के लिए फूड ग्रेन
स्टोरेज के निर्माण का कार्य मनरेगा के अंतर्गत अनुमन्य है। अतः राज्य सरकार मनरेगा के अंतर्गत फूड ग्रेन स्टोरेज का निर्माण कर
उनका उपयोग उचित दर दुकानों के रूप में कर सकती है। ऐसे भवनों का निर्माण केवल सरकारी भूमि पर किया जाएगा। उचित दर दुकानों की व्यवहार्यता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उचित दर दुकानों के माध्यम से विद्युत देयकों का भुगतान, सीएससी सेवाएं, पीएम वाणी के अंतर्गत ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने के साथ-साथ आम जन मानस की रोजमर्रा की आवश्यकता की वस्तुओं के बिक्री की भी अनुमति प्रदान की गई है।
समस्त ब्लाकों में किया जाएगा निर्माण
संयुक्त सचिव संत लाल द्वारा सभी मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को प्रेषित आदेश के अनुसार, निर्मित की जाने वाली उचित दर दुकानों का मानक निश्चित न होने के कारण जनपदों में संबंधित प्राधिकारियों द्वारा इनका निर्माण सुनिश्चित नहीं कराया जा पा रहा है। ऐसे में मंडलायुक्त बरेली व संभागीय खाद्य नियंत्रक, बरेली संभाग द्वारा विकसित कराए गए मॉड्यूल को आधार बनाते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली की उचित दर दुकानों के निर्माण की कार्यवाही की जा सकती है। दुकानों की प्रस्तावित डिजाइन, ले-आउट व स्थान के चयन के संबंध में संबंधित जिलाधिकारी स्वयं के स्तर पर निर्णय लेते हुए आवश्यक कार्यवाही कराएंगे। मॉड्यूल के अनुसार निर्मित उचित दर दुकान का कुल क्षेत्रफल लगभग 484 वर्ग फीट होगा। उचित दर दुकान का निर्माण एक वृहद कक्ष में किया जाएगा, जिसमें दुकान तथा सीएससी के लिए अलग-अलग स्थान होगा। दुकान के समक्ष एक 24 फीट x 04 फीट का बरामदा भी होगा, जोकि उचित दर विक्रेताओं के लिए वेटिंग हाल के रूप में रहेगा। बरामदे में तीन स्थानों पर नोटिस बोर्ड तथा एक स्थान पर सूक्ष्म वृक्षारोपण के लिए जगह सम्मिलित है। नवीन उचित दर दुकानों का निर्माण सबसे पहले प्रदेश के समस्त ब्लाकों में किया जाएगा। इसके बाद भारत सरकार के निर्देशानुसार प्रत्येक जनपद में 75 दुकानों का निर्माण कराया जाएगा।