किसानों के दो मांगों पर बनी सहमति, बाकी मुद्दों पर चार जनवरी को होगा मंथन
नई दिल्ली: कृषि सुधारों पर आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ बुधवार को हुई वार्ता बहुत हद तक सफल रही। कुल चार मुद्दों पर अड़े किसान संगठनों के दो प्रमुख मसलों पर आम सहमति बनी है। सरकार इन मांगों को मान लेने के लिए राजी हो गई है। बाकी दो मांगों पर चर्चा के लिए चार जनवरी को फिर बैठक बुलाई गई है जिसमें उनका भी हल निकाल लिए जाने की उम्मीद जताई गई है। नए कृषि कानूनों पर उठाए जाने वाले एतराज के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाने पर रजामंदी हो सकती है।
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को पूरा यकीन है कि किसानों की शंकाओं का समाधान जरूर होगा। वार्ता खत्म होने के बाद बाहर आए कृषि मंत्री तोमर ने जोर देकर कहा कि किसानों की दो प्रमुख मांगों पर रजामंदी हो गई है। इनमें पहली पर्यावरण संबंधी अध्यादेश को लेकर है, जिसमें किसान और पराली का जिक्र किया गया है। किसानों की मांग थी कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई वाले प्रावधान बाहर किए जाएं।
तोमर ने कहा कि सरकार इससे वाकिफ है। इसी तरह किसानों की दूसरी चिंता बिजली बिल संशोधन विधेयक को लेकर थी। फिलहाल यह विधेयक संसद में पेश नहीं किया गया है। किसान नेताओं को आशंका है कि यह कानून आया तो उनका बहुत नुकसान होगा। किसानों की मांग है कि सिंचाई के लिए जो सब्सिडी राज्य जैसे देते हैं वैसे ही चलती रहे। सरकार उनकी इस मांग पर रजामंद हो गई है।
एमएसपी पर सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार है। किसानों को एमएसपी से कम का भाव न मिले, इसके लिए भावांतर योजना को प्रभावी तरीके से लागू किए जाने का बंदोबस्त किया जा सकता है। इससे स्पष्ट है कि समस्या का समाधान हो जाएगा। किसान संगठनों के साथ सरकार की छठवें दौर की वार्ता की सफलता को लेकर बड़ी बड़ी आशंकाएं जताई जा रही थीं।