कोरोना वायरस की दवा कुछ महीनों में और टीका आने में लग सकता है एक साल
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए बाजार में अभी तक कोई ऐसी दवा नहीं है। दवा निर्माताओं के मध्य कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने और टीका विकसित करने की दौड़ मची है। दवा कंपनियों का कहना है कि बाजार को इस तरह की थेरेपी को प्राप्त करने की बहुत जल्दी है। दुनिया की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे इसे बनाने की प्रक्रिया में हैं। इसकी एंटी वायरल दवा कुछ महीनों में उपलब्ध हो जाएगी। टीका अगले वर्ष तक ही आ सकेगा।
कुछ महीनों का इंतजार
इस सप्ताह व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दुनिया की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि कोरोना की दवा कुछ महीनों में उपलब्ध हो जाएगी, वहीं इसका टीका अगले वर्ष तक ही आ सकेगा। ट्रंप ने कहा है कि हमें इसकी आवश्यकता है।
छोटी सी कोशिश
पिछले दो दशकों से दो अन्य कोरोना वायरस इंसानों तक पहुंचे। इबोला के कारण संक्रमित आधे लोग मारे गए। वहीं जीका ने शिुशुओं को यहां तक की उन्हें जो अभी तक जन्मे भी नहीं थे, नुकसान पहुंचाया। दवा कंपनियों ने अरबों रुपये खर्च कर इनके प्रकोप को कम करने की कोशिश की लेकिन वे अपनी छोटी सी कोशिशें दिखाकर अलग हो गए।
वैज्ञानिकों ने झोंकी ताकत
दुनिया भर के वैज्ञानिक बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। चीन के शोधकर्ताओं ने बहुत तेजी से इसकी आनुवांशिक श्रृंखला के बारे में दूसरे वैज्ञानिकों को बताया और दुनिया के दूसरे वैज्ञानिक इसके इलाज और टीके को खोजने में जुट गए। चीन में रोग निदान के लिए करीब 200 क्लिनिक परीक्षण किए जा रहे हैं।
अरबों की लागत
अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे बायोमेडिकल एडवांस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑथोरिटी ने कहा है कि हम दौड़ से बाहर हैं। उनका अनुमान है कि टीके को विकसित करने की लागत करीब एक अरब डॉलर (73 अरब रुपये) और इलाज की लागत भी करीब इतनी ही होगी। इसकी लागत को किसी भी तरह से पुन: प्राप्त करना संभव नहीं होगा।
साल भर का लग सकता है वक्त
कोरोना वायरस से बचाव कर सकती है यह दवा
जर्नल सेल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह वायरस 2002-2003 में आए सार्स से संबंधित है। वैज्ञानिकों ने पता लगाने की कोशिश की है कि नए कोरोना वायरस ने होस्ट कोशिकाओं में कैसे प्रवेश किया और इस प्रक्रिया को कैसे अवरुद्ध किया जा सकता है। सेलुलर प्रोटीन की पहचान की गई है, जो कोरोना वायरस के फेफड़ों की कोशिकाओं में प्रवेश के लिए जरूरी है। इसके निष्कर्ष बताते हैं कि इस वायरस को प्रोटीज टीएमपीआरएसएस2 की आवश्यकता होती है जो कि शरीर में मौजूद होता है। उनका दावा है कि यह दवा कोविड-19 को भी रोक सकती है।
दवाएं अपने साथ कई तरह के दुष्प्रभाव भी लेकर के आती हैं। सिंगापुर में कोविड-19 के अस्पताल में भर्ती 18 मरीजों में पाया गया कि जिन 5 लोगों को ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, उन्हें एबविज की एचआइवी दवा दी गई। अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में छपे शोध के अनुसार, पांच में से तीन की हालत सुधरी और दो की लगातार बिगड़ती रही।