क्या-क्या मौजूद है पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर?

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर स्थित है। इस मंदिर का जिक्र पुराणों में भी किया गया है। इस मंदिर में एक शिवलिंग विराजित है। माना जाता है कि यहां पर 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं। जानिए इस मंदिर के बारे में रोचक बातें

 भारत के कोने-कोने में कई रहस्यमयी मंदिर और गुफाएं मौजूद है। जिनमें से काफी के अभी तक कोई रहस्य खोल ही नहीं पाया है। इन्हीं मंदिरों में से एक उत्तराखंड में एक शिव मंदिर है। पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर। माना जाता है कि इस मंदिर में दुनिया खत्म होने का एक रहस्य छिपा हुआ है। लेकिन इस बात पर कितनी सच्चाई है इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं है।

गुफा में मौजूद है पाताल भुवनेश्वर मंदिर

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर को लेकर काफी मान्यताएं है। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए गुफा में जाना पड़ता है जो समुद्र तल से करीब 90 फीट गहरी है। यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी है। माना जाता है कि इस मंदिर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है।

क्या-क्या मौजूद है पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर?

इस गुफा की ओर जाती हुई पतली सुरंग में अनेक चट्टानों की संरचना और नक्काशीदार विभिन्न भगवानों की जटिल छवियां बनी हुई है। इसके साथ ही यहां पर नागों के राजा अधिशेष की कलाकृतियां भी देखने को मिलती है।

किसने की पाताल भुवनेश्वर मंदिर की खोज

मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में इस गुफा की खोल राजा ऋतुपर्ण ने की थी। इसके बाद दोबारा इस गुफा की खोल पांडवों से की थी। वहीं स्कंद पुराण के साथ पहली बार 819 ई में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की थी और उन्होंने ही राजा को जानकारी दी थी। इसके बाद राजाओं के द्वारा ही गुफा में पूजा कार्य के लिए पुजारियों (भंडारी परिवार) को लाया गया था। जब से लेकर आज कर भंडारी परिवार के लोग ही इस मंदिर में पूजा कर रहे हैं।

पाताल भुवनेश्वर मंदिर में मौजूद है चार द्वार

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पाताल भुवनेश्वर गुफा में चार द्वार मौजूद है। जिनका नाम और द्वार, पाप द्वार, धर्म द्वार और मोक्ष द्वार है। माना जाता है कि जब रावण की मृत्यु हुई थी तब पापद्वार बंद हो गया था। इसके बाद महाभारत के युद्ध के बाद रणद्वार बंद हो गया था।

पाताल भुवनेश्वर मंदिर में और क्या है खास?

इस मंदिर को लेकर खास बात यह है कि यहां पर चार खंभे है जो युगों के हिसाब से यानी सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग नाम से हैं। सभी खंभे में तो कोई बदलाव नहीं है लेकिन कलयुग के खंभे की लंबाई दूसरे खंभे से ज्यादा है। इसके साथ ही यहां पर विराजित शिवलिंग का आकार तेजी से बढ़ रहा है। माना जाता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी। इस बात पर कितनी सच्चाई है इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। हो सकता है कि यह एक मनगढ़ंत कहानी हो।

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