गो-सेवा आयोग द्वारा महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा-श्री श्याम बिहारी गुप्त

लखनऊ : 13 जून, 2025

उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्त जी की अध्यक्षता में बरेली मण्डल की गोशालाओं की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। बरेली में आयोजित बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष श्री महेश शुक्ल जी, सदस्यगण श्री रमाकान्त उपाध्याय जी, श्री राजेश सिंह सेंगर जी एवं श्री दीपक गोयल जी की गरिमामयी उपस्थिति रही। बैठक में प्रदेश सरकार के पशुधन मंत्री श्री धर्मपाल सिंह जी के द्वारा गो-आधारित प्राकृतिक खेती, आत्मनिर्भर गोशालाओं की स्थापना एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में दिए गए मार्गदर्शन के क्रम में कई ठोस निर्णय लिए गए। बैठक में अध्यक्ष श्री गुप्त ने कहा कि उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग केवल गोवंश संरक्षण तक सीमित न रहकर अब प्राकृतिक खेती, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिला सशक्तिकरण और ऊर्जा उत्पादन जैसे बहुआयामी क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाएगा।

बैठक में निर्णय लिया गया कि बरेली मण्डल सहित प्रदेश के प्रत्येक जनपद में महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। मुख्यमंत्री निराश्रित गौवंश सहभागिता योजना अंतर्गत इन समूहों को एक से चार गायें सुपुर्द की जाएंगी, जिससे न केवल गोवंश संरक्षण होगा, बल्कि महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलेगा। जहां-जहां स्वयं सहायता समूहों की सक्रियता है, वहां पर एमएनआरईजी। जैसी योजनाओं के माध्यम से पशु शेड, नाद, गोबर संग्रह केंद्र आदि की संरचनाएं निर्मित कर गोबर और गोमूत्र का संग्रह एवं प्रयोग सुनिश्चित किया जाएगा। इनसे प्राकृतिक खेती को बल मिलेगा। सभी पंजीकृत गोशालाओं में बायोगैस, रेक बायोगैस या अन्य प्रकार के जैविक ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की जाएगी, जिससे किसानों और गोशालाओं को ऊर्जा तथा आय का नया साधन मिलेगा और यह आत्मनिर्भरता की ओर एक मजबूत कदम सिद्ध होगा। माननीय प्रधानमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना “नेशनल मिशन फॉर नेचुरल फार्मिंग (एनएमएनएफ)” के अंतर्गत गोशालाओं में संरक्षित गोवंश से प्राप्त गोबर और गोमूत्र का वैज्ञानिक उपयोग सुनिश्चित कर उसे जैविक उत्पादन और कृषि कार्यों में जोड़ा जाएगा। (गो-आधारित प्राकृतिक खेती)

यह भी निर्णय लिया गया कि एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एण्ड मीडियम एंटरप्राइसेस) के अंतर्गत पंचगव्य आधारित उत्पाद जैसे दवा, अर्क, खाद आदि के निर्माण के लिए पंचायत स्तर पर छोटे-छोटे उद्यम विकसित किए जाएंगे, जिनमें युवाओं को प्रशिक्षण देकर जोड़ा जाएगा और इन उत्पादों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। राज्य में एग्री टूरिज़्म, इको टूरिज़्म तथा रूरल टूरिज़्म को बढ़ावा देने हेतु उन गोशालाओं को पर्यटन केंद्रों से जोड़ा जाएगा जहाँ पर उच्च नस्ल के गोवंश का संरक्षण किया जा रहा है। इससे गोशालाओं को एक नया राजस्व स्रोत प्राप्त होगा। आयुष विभाग के सहयोग से पंचगव्य पर आधारित आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए पंचायत स्तर पर इकाइयां स्थापित की जाएंगी, जिनमें देसी गाय के दूध, गोबर व गोमूत्र का उपयोग कर आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण किया जाएगा। घरेलू एवं औद्योगिक स्तर पर बायोगैस संयंत्रों की स्थापना को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे सीएनजी, खाद व जैविक ऊर्जा का उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके।

सहकारिता विभाग के सहयोग से जैविक खाद की उत्पादन इकाइयां स्थापित की जाएंगी, जिससे रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होगी और किसानों को सस्ती तथा प्राकृतिक खाद उपलब्ध कराई जा सकेगी। प्रदेश के सभी आश्रय स्थलों या गोशालाओं में उपलब्ध अनुपयोगी भूमि का उपयोग कर हरे चारे का उत्पादन किया जाएगा, जिससे गोशालाएं चारा उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकें और चारे पर होने वाला व्यय कम हो। अध्यक्ष ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि इन निर्णयों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक जनपद में पारदर्शिता, समन्वय एवं समयबद्धता के साथ कार्य किया जाए।

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