जानिए शॉर्ट सेलिंग बाजार में भाग लेने का एक तरीका..
शॉर्ट सेलिंग बाजार में भाग लेने का एक तरीका है। इसे काफी पेचीदा स्ट्रेटेजी माना जाता है। इसे आप कैश ऑप्शन और फ्यूचर्स के जरिए कर सकते हैं।
शॉट सेलिंग या शॉटिंग शेयर बाजार की एक बाजार की एक एडवांस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है, जिसके जरिए एक ट्रेडर बाजार में भाग लेता है। हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडानी ग्रुप पर रिपोर्ट सामने आने के बाद से ये शब्द लगातार चर्चा में बना हुआ है।
हिंडनबर्ग की ओर से रिपोर्ट जारी कर कहा था कि उसने यूएस ट्रेडेड बॉन्ड्स और नॉन- इंडियन ट्रेडेड डेरिवेटिव्स में शॉर्ट पोजिशन बनाई हुई है। ऐसे में लोगों में मन नें सवाल उठ रहा है कि आखिर शॉट सेलिंग होती क्या है और इससे कैसे पैसे कमाए जा सकते हैं।
शॉर्ट सेलिंग एक काफी पेचीदा ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी होती है। इसके तहत बाजार में कारोबार करने वाला ट्रेडर शेयरों को पहले ऊंचे कीमत पर बेच देता है और फिर निचले भाव पर खरीदता है और इन दोनों के बीच में होने वाला अंतर ट्रेडर का मुनाफा होता है।
बाजार नियामक सेबी की ओर से दी गई परिभाषा के अनुसार, शॉर्ट सेलिंग वह होती है, जिसमें ट्रेडर अपने पास न होते हुए भी शेयर को बेच देता है। ये बाजार से उधार लेकर बेचे जाते हैं और बाद में कीमत नीचे गिरने पर खरीद लिए जाते हैं।
कैसे करते हैं शॉर्ट सेलिंग?
बाजार में शॉर्ट सेलिंग तीन तरीके से हो सकती है। पहला – कैश, दूसरा – ऑप्शन, तीसरा – फ्यूचर्स। यहां ध्यान देनी वाली बात है कि कैश में केवल इंट्रडे शॉर्ट सेलिंग हो सकती है, जबकि ऑप्शन और फ्यूचर्स में लिए गए शॉट्स को कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है। बता दें, शॉर्ट सेलिंग पर नियामक कड़ी निगरानी रखता है और कोई भी गड़बड़ी मिलने पर तुरंत कार्रवाई करता है।
शॉर्ट सेलिंग का उदाहरण
शॉर्ट सेलिंग के उदाहरण की बात की जाए, तो मान लीजिए श्याम नाम का एक ट्रेडर है और उसे लगता है कि एबीसी कंपनी के शेयर का प्राइस अधिक चल रहा है और नीचे आ सकता है। तो फिर वह अपनी सुविधा के अनुसार कैश, ऑप्शन और फ्यूचर्स में से किसी का चयन करके शॉर्ट बना सकता है। याद रहे कि शॉर्ट सेलिंग एक काफी कठिन प्रक्रिया है। इसमें किसी को विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। गलत होने पर आपको ऑप्शन और फ्यूचर्स में 100 प्रतिशत पूंजी का भी नुकसान हो सकता है।
शॉर्ट सेलिंग के नुकसान
शॉर्ट सेलिंग के फायदे से ज्यादा नुकसान हैं। शॉर्ट सेलिंग करके कोई भी ग्रुप बनाकर किसी विशेष कंपनी के शेयर को निशाना बना सकता है और नीचे गिरा सकता है। बड़ी मात्रा में शॉर्ट होने से बाजार से अस्थिर होने का खतरा बना रहता है।