ताइवान चुनाव में जीत पर बधाई देने के लिए चीन की अमेरिका को चेतावनी
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन को चुनावों में भारी जीत के बाद बधाई देने के लिए चीन ने अमेरिका एवं अन्य देशों की आलोचना की। साई ने खुद को चीन के बढ़ते अधिनायकवाद के खिलाफ उदार लोकतांत्रिक मूल्यों के रक्षक के तौर पर पेश किया था। राष्ट्रपति के चुनावों में शनिवार को उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की थी।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के साथ ही ब्रिटेन और जापान के शीर्ष राजनयिकों ने बयान जारी कर साई को बधाई दी। लेकिन ताइवान को अपने क्षेत्र के रूप में देखने वाले बीजिंग ने उनके कृत्यों की एक चीन नीति का उल्लंघन करने के लिए निंदा की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, ”चीनी पक्ष इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर करता है और इसका विरोध करने का संकल्प लेता है।” उन्होंने बयान जारी कर कहा, ”हम ताइवान एवं ऐसे देशों के बीच किसी भी तरह के आधिकारिक संवाद का विरोध करते हैं जिनका चीन के साथ कूटनीतिक संबंध है।”
चीन की सरकारी मीडिया ने भी साई की जीत को तवज्जो नहीं दी और ताइवानी नेता पर ”गंदी युक्ति” और ठगी करने का आरोप लगाते हुए उनके प्रचार की वैधता पर संदेह खड़ा किया।
सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने रविवार (12 जनवरी) को कहा कि साई और उनकी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) ने वोट हासिल करने के लिए ठगी, दमन और धमकी का सहारा लिया जो उनके स्वार्थी, लालची तथा बुरी प्रकृति का भंडाफोड़ करता है। शिन्हुआ ने साई पर वोट खरीदने का आरोप लगाया और कहा कि चुनाव परिणामों के लिए ”बाहरी ताकत जिम्मेदार हैं।
ताइवान के नेता ने अमेरिका के शीर्ष अधिकारी से मुलाकात की
वहीं दूसरी ओर, चुनावों में भारी बहुमत से एक बार फिर जीतने के बाद ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने ताइपे में अमेरिका के वास्तविक राजदूत से मुलाकात की। चीन ने चेतावनी दी है कि देशों को ”एक चीन नीति को मान्यता देनी चाहिए जिसमें ताइवान भी शामिल है।
ताइवान में अमेरिकन इंस्टीट्यूट के निदेशक और अमेरिकी राजदूत विलियम ब्रेंट क्रिश्टेंसन ने साई को उनकी जीत पर बधाई दी और उन्होंने समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। साई ने कहा, ”ताइवान-अमेरिका भागीदारी द्विपक्षीय भागीदारी से वैश्विक भागीदारी तक बढ़ चुका है। भविष्य में हम इस आधार को और मजबूत करेंगे जो हमने तीन वर्षों में वैश्विक मुद्दों पर सहयोग से तैयार किया है।”
स्वशासित ताइवान को चीन अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और अमेरिका के साथ किसी भी आधिकारिक संपर्क का विरोध करता है और इसे अपने घरेलू मामलों में हस्तक्षेप मानता है। अमेरिका का ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है लेकिन वैधानिक रूप से यह सुनिश्चित करता है कि ताइवान अपने खतरों से रक्षा कर सके।