दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों के वेतन व पेंशन संकट के समाधान की उम्मीद नजर नहीं आ रही.. 

अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को एक माह का वेतन व पेंशन देने के लिए निगम को 774 करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत है जबकि निगम के खाते में मात्र 70 करोड़ रुपये बचे हैं।

दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों के वेतन व पेंशन संकट के समाधान की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को एक माह का वेतन व पेंशन देने के लिए निगम को 774 करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत है, जबकि निगम के खाते में मात्र 70 करोड़ रुपये बचे हैं। हालांकि अभी अधिकारियों और कर्मचारियों का तीन-चार माह का वेतन व पेंशन बकाया है।

कर्मचारी संगठन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है। कन्फेडरेशन आफ एमसीडी यूनियंस ने केंद्र सरकार से 2500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज मांगा है।

आने हैं 1532 करोड़ रुपये

एमसीडी का कहना है कि बेसिक टैक्स असाइनमेंट (बीटीए) के तहत 1532 करोड़ की राशि आनी है। इससे करीब एक माह का वेतन जारी हो सकता है। इसके लिए 15 फरवरी तक सभी कर्मचारियों और अधिकारियों का एक माह का वेतन जारी होने की उम्मीद है।

यह राशि दिल्ली सरकार को एक जनवरी से लेकर 31 मार्च तक की समय-सीमा के भीतर जारी करनी होती है। हालांकि शिक्षकों के काली पट्टी बांधकर हो रहे सांकेतिक विरोध से निगम ने पूर्वकालिक पूर्वी व उत्तरी निगम के शिक्षकों को एक माह का वेतन जारी कर दिया है। दक्षिणी निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों के सामने पहली बार यह स्थिति उत्पन्न हुई है कि उनका दो माह का वेतन आज बकाया हो गया है।

2500 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग

कन्फेडरेशन आफ एमसीडी यूनियंस के संयोजक एपी खान ने कहा कि एकीकरण के बाद उम्मीद थी कि केंद्र सरकार कोई विशेष पैकेज देगी लेकिन कुछ नहीं मिला। वहीं, दिल्ली सरकार ने भी कोई बड़ी मदद निगम में जीतने के बाद नहीं की। निगम कर्मचारियों और अधिाकारियों की वेतन की समस्या के चलते कर्मचारी काफी परेशान हैं।

पीएम मोदी से हस्तक्षेप की मांग

उन्होंने पीएम मोदी, उपराज्यपाल वीके सक्सेना, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत दूसरी संस्थाओं को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। खान ने बताया कि इस मुद्दे के समाधान के लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार 2500 करोड़ रुपय का विशेष पैकेज दे। बृहस्पतिवार को इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई है जिसमें दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और शहरी विकास सचिव को कोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।

Back to top button