प्रयागराज को करोंड़ों की सौगात, पीएम मोदी बोले-एकता का महायज्ञ है महाकुंभ
पीएम मोदी ने कहा कि प्रयागराज ऋषि भारद्वाज की तपोभूमि है। यहां अक्षयवट की अमरता है। प्रयागराज केवल एक भौगोलिक भूखंड नहीं बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव क्षेत्र है। कहा कि श्री बड़े हनुमान जी, अक्षय वट का आशीर्वाद आज प्राप्त हुआ है।
महाकुंभ देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और यह एकता का महायज्ञ है। प्रधानमंत्री ने 5500 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद यहां एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा, महाकुंभ देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। महाकुंभ को एकता का महायज्ञ बताते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकुंभ में जाति और संप्रदायों का भेद मिट जाता है। पीएम मोदी ने कहा, लगातार 45 दिनों तक चलने वाला महायज्ञ एक नया नगर बसाने के महा अभियान के माध्यम से प्रयागराज की इस धरती पर एक नया इतिहास रचने जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने भारद्वाज आश्रम गलियारा, श्रृंगवेरपुर धाम गलियारा, अक्षयवट गलियारा, हनुमान मंदिर गलियारा का उद्घाटन भी किया। इन परियोजनाओं से श्रद्धालुओं की पहुंच आसान होगी और आध्यात्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री कुंभ ‘सहायक’ चैटबॉट की भी शुरुआत की। कृत्रिम बुद्धमत्ता (एआई) पर आधारित यह चैटबॉट महाकुंभ मेला 2025 के बारे में श्रद्धालुओं को कार्यक्रमों की नवीनतम जानकारी प्रदान करेगा।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में पेयजल और बिजली आपूर्ति से संबंधित कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरूआत की। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर एक औपचारिक पूजा और दर्शन के साथ शुरू हुई।
पीएम ने कहा कि संगम में स्नान से करोड़ों तीर्थों के बराबर पुण्य मिलता है। जो व्यक्ति प्रयाग में स्नान करता है वह हर पाप से मुक्त हो जाता है. राजा महाराजाओं का काल रहा हो या गुलामी का दौर रहा हो यह यात्रा कभी नहीं रुकी। कुंभ का कारण कोई वाह्य शक्ति नहीं है। किसी बाहरी व्यवस्था के बजाए मनुष्य के अंतर्मन की चेतना का नाम महाकुंभ है।
यही चेतना भारत के कोने-कोने से संगम के तट तक खींच लाती है। गांवों, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकल पड़ते हैं। सामूहिकता का ऐसा कोई समागम और कहीं नहीं दिखता। संत, महंत, ऋषि और सामान्य लोग सभी एक हो जाते हैं और त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। यहां जातियों का भेद खत्म हो जाता है। संप्रदायों का टकराव मिट जाता है। करोड़ों लोग एक ध्येय और विचार से जुड़ जाते हैं।
हमारा भारत पवित्र स्थलों और तीर्थों का देश है। ये गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी और नर्मदा जैसी अनगिनत पवित्र नदियों का देश है। इन नदियों के प्रवाह की जो पवित्रता है, इन अनेकानेक तीर्थों का जो महत्व है, जो महात्म्य है, उनका संगम, उनका समुच्चय, उनका योग, उनका संयोग, उनका प्रभाव, उनका प्रताप ये प्रयाग है। प्रयाग वो है, जहां पग-पग पर पवित्र स्थान हैं, जहां पग-पग पर पुण्य क्षेत्र हैं।
महाकुंभ देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर स्थापित करेगा। प्रयागराज केवल एक जगह नहीं है, यह एक आध्यात्मिक अनुभव का क्षेत्र है। इससे पहले पीएम मोदी ने 2025 के महाकुंभ मेले के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार के उद्देश्य से 5,500 करोड़ रुपये की 167 प्रमुख विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
पूजा से पहले मोदी ने नदी में नौकाविहार का आनंद लिया। पूजा के अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे। हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ अगले वर्ष प्रयागराज में 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महा शिवरात्रि) तक आयोजित किया जाएगा।