बुंदेलखंड की गौशालाओं में गोवंशों की सेहत के लिए योगी सरकार की नई पहल, चित्रकूट धाम मंडल के कमिश्नर ने दिया ये अहम निर्देश

अनिल सिंह, बांदा: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में छुट्‌टा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए योगी सरकार लगातर प्रयास कर रही है। कई जगह गौशालाएं बनाकर गोवंश को संरक्षित किया जा रहा है। चित्रकूट धाम मंडल (Chitrakoot) में 1,62,934 गोवंश इस समय गौशालाओं में संरक्षित हैं। लेकिन इस संरक्षण में गोवंश के लिए चारा उपलब्ध कराना भी बड़ी समस्या है। स्थिति ये होती है कि पर्याप्त चारा-भूसा न मिलने से बड़ी संख्या में गोवंश मौत के मुंह में समा जाते हैं। इन गोवंशों की जान बचाने और इन्हें तंदुरुस्त बनाने के उद्देश्य से मंडल के कमिश्नर दिनेश कुमार सिंह ने एक नई पहल की है। कमिश्नर ने ऐसा प्रयास शुरू किया है कि कम से कम खर्च में गोवंशों को साल भर आसानी से चारा उपलब्ध कराया जा सके। इस पहले के तहत ग्राम पंचायतों में स्थित गोचर जमीन में चारागाह तैयार किए जाएंगे, इनमें हरी घास तैयार होगी और पूरे साल भर इन गौशालाओं के चारागाह में हरी घास उपलब्ध रहेगी।

ये है समस्या की जड़
चित्रकूट धाम मंडल में इस समय लगभग 1000 से अधिक अस्थाई व स्थाई गौशाला हैं। इन गोशालाओं में चित्रकूट में 41,770, हमीरपुर में 38,465, बांदा में 51,442 और महोबा में 30,717 गोवंश पशु संरक्षित हो रहे हैं। ये सभी अन्ना गोवंश हैं, जो छुट्टा होने पर किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। योगी सरकार ने इन्हें संरक्षित करने के लिए गौशालाओं में रखा है। साथ ही इन गोवंशों के भरण पोषण के लिए सरकार द्वारा धन भी दिया जाता है, लेकिन धनराशि समय से न पहुंचने के कारण इन गोवंशों को पर्याप्त चारा नहीं मिल पाता है, जिससे इनकी स्थिति दयनीय होती जाती है और असमय मौतें होती रहती हैं।

गोचर जमीन में तैयार होगा चारागाह
इस समस्या का निदान करने के लिए चित्रकूट धाम मंडल के कमिश्नर दिनेश कुमार सिंह ने ग्राम पंचायतों की गोचर जमीन में चारागाह तैयार करने की पहल की है। जिन ग्राम पंचायतों में चारागाह की जमीन नहीं है, वहां ग्राम समाज की जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा। इन गोशालाओं में पशुपालन विभाग और कृषि विश्वविद्यालय की तकनीक से उन्नतशील चारा तैयार किया जाएगा। यह चारा पूरे वर्ष रहता है। इसकी तीन से चार बार कटाई हर साल होती है।

हमीरपुर और महोबा में इसकी शुरुआत
इसकी शुरुआत मंडल के हमीरपुर और महोबा जिला में हो गई है। हमीरपुर के गोहांड ब्लाक में सरसई लीगा और कुम्हरिया में संरक्षित डेढ़ हेक्टेयर में चारा तैयार करने का काम किया जा रहा है। वहीं महोबा जनपद के कबरई की कान्हा गौशाला पहरा में साढ़े सात हेक्टेयर में चारा तैयार किया जा रहा है। बताया जाता है कि बारिश में चारा की बुवाई होगी और इसी वर्ष तक गोवंशों को घास मिलने लगेगी। पशुपालन विभाग सभी चारागाहों की मानीटरिंग करेगा। बताते हैं कि यदि एक गौशाला में 3 से 4 हेक्टेयर में चारा तैयार हुआ तो गौशाला में करीब दो-तीन सौ गायों के लिए भरपूर हरा चारा मिलेगा।

पहले चारागाह की जमीन से अवैध कब्जे हटेंगे
इस संबंध में चित्रकूट धाम मंडल के कमिश्नर दिनेश कुमार सिंह का कहना है कि मंडल की ग्राम पंचायतों में गोचर के नाम पर जमीन छोड़ी जाती है। अगर इसमें आधुनिक तरीके से घास तैयार की जाए तो गोवंश को पर्याप्त हरी घास मिल सकती है। इसीलिए मंडल के सभी मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह एसडीएम के माध्यम से चारागाह की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों को हटाएं और इसी वर्ष जुलाई में हरा चारा की बुवाई कराई जाए ताकि समय से गोवंशों को हरी घास मिल मिले, जिससे उनकी सेहत में सुधार हो सके।

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