यूपी: निजी मेडिकल कॉलेजों के शुल्क सरकार तय करेगी, ऐसे होगी निगरानी

प्रदेश सरकार एक बार फिर निजी मेडिकल कालेजों की फीस तय करने जा रही है। इस बार केवल शैक्षणिक शुल्क ही नहीं, निजी मेडिकल कालेजों के हर तरीके के शुल्क का निर्धारण सरकार करेगी।

इस सिलसिले में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव चार फरवरी को बैठक कर फीस निर्धारण पर अपनी राय देने के लिए कन्सलटेंट की रिपोर्ट पर विचार करेंगे। 

फीस निर्धारण की अवधि खत्म: उ.प्र.निजी व्यवसायिक शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश का विनियमन और फीस का नियतन ) अधिनियम-2006 के तहत 27 निजी मेडिकल कालेजों की पहले निर्धारित की गई फीस की दो साल की अवधि खत्म हो गई है। 
हालांकि, आगे से यह काम नेशनल मेडिकल कौंसिल (एनएमसी) को करना था। लेकिन एनएमसी ने अभी काम करना ही नहीं शुरू किया है।   इसीलिए मेडिकल कालेजों के  जुलाई से शुरू होने वाले नए सत्र में प्रवेश लेने वाले एमबीबीएस छात्रों की फीस प्रदेश सरकार ही तय करेगी। 

निजी एजेन्सी देगी अपनी रिपोर्ट
इस बार शैक्षणिक शुल्क, हॉस्टल फीस, सिक्योरिटी की रकम, लैबोरेट्री फीस समेत सभी प्रकार के शुल्क का निर्धारिण चिकित्सा शिक्षा विभाग करेगा। विभाग ने पहले ही नई दिल्ली की केपीएमजी कन्सलटेंट एजेन्सी को  फीस निर्धारण पर अपनी रिपोर्ट देने का जिम्मा दे दिया था। इस एजेन्सी ने गुजरात और मध्यप्रदेश की सरकारों द्वारा निजी मेडिकल कालेज की फीस नियंत्रण के बारे में अपनाए गए तरीकों का अध्यन्न किया है।    

कुछ सीटें मैनेजमेंट कोटे की हो सकती हैं

चिकित्सा शिक्षा विभाग फीस नियंत्रण को व्यवहारिक बनाने के लिए निजी मेडिकल कालेजों को मैनेजमेंट कोटे की कुछ सीटें देने पर भी विचार कर रहा है। ताकि उन सीटों पर अपने हिसाब से शुल्क लेकर कालेज अपने खर्चों की भरपाई कर सकें।

 कॉलेज अन्य मदों में मनमानी फीस वसूलते थे 

अभी तक  निजी मेडिकल कालेज सरकार द्वारा तय किए गए शैक्षणिक शुल्क साढ़े आठ लाख से लेकर साढ़े 11 लाख सालाना फीस लेने के लिए बाध्य थे। लेकिन ये कालेज शैक्षणिक शुल्क तो सरकार के मुताबिक लेते थे। जबकि हॉस्टल फीस व सिक्योरिटी रकम सरीखे शुल्क मनमाने ढंग से बढ़ा कर सरकार द्वारा कम किए शैक्षणिक शुल्क की भरपाई करने के लिए छात्रों का उत्पीड़न करते थे। छात्रों की शिकायत पर ही पिछले साल चिकित्सा शिक्षा विभाग को हॉस्टल शुल्क एक लाख सालाना और सिक्योरिटी की रकम एक बार ढाई लाख लेने का अलग से आदेश जारी करना पड़ा था।  

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