ये अमेरिका है साहब, ईंट का जवाब पत्‍थर से देगा, ईरान से निपटने के लिए US ने बदली सैन्‍य रणनीति

पश्चिम एशिया के रेगिस्‍तानों में इन दिनों अमेरिका के अत्‍याधुनिक लड़ाकू विमानों की लंबी खेप देखी जा सकती है। जंग में दुश्‍मन के छक्‍के छुड़ा देने वाले एफ-15ई की एक लंबी कतार रेगिस्‍तान की इन रेतों में उड़ान भरते देखा जा सकता है। दुश्‍मनों की फौज तो इन विमानों को देखकर ही पसीने छोड़ देती है। इन दिनों मध्‍य एशिया में भारी टेंशन है। ईरान से बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने मध्‍य एशिया में अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है। उसने यहां सेना को हटाने के बजाए अपने बेड़े को और बढ़ा दिया है। अब उसकी फौज किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार बैठी है। दुश्‍मन की एक भूल उसे भारी पड़ सकती है। आइए जानते हैं कि आखिर अमेरिका ने अपनी सैन्‍य रणनीति में क्‍या बदलाव किया है। इस रणनीतिक बदलाव के पीछे बड़ी वजह क्‍या है। 

सऊदी अरब का प्रिंस सुल्‍तान एयर बेस बना नया ठिकाना 

अमेरिका ने अब इराक के बजाए मध्‍य सऊदी अरब के अल खर्ज शहर के पास अपना प्रमुख सैन्‍य बेस बनाया है। इस एयर बेस पर अतिरिक्‍त सैनिकों की तैनाती की गई है। यहां लड़ाकू विमानों का भी बेड़ा बढ़ा दिया गया है। ईरान से बढ़ते तनाव के बीच प्रिंस सुल्‍तान एयर बेस अमेरिकी वायु सेना का नया ठिकाना बनाया है। प्रिंस सुल्तान एयर बेस पर एफ-15ई लड़ाकू विमानों की नई स्क्वाड्रन तैनात की गई है। अमेरिका की इस रणनीति बदलाव की दो खास वजह है।

मध्‍य एशिया में अमेरिका की प्राथमिकताएं 

मध्‍य एशिया में अमेरिका की पहली प्राथमिकता अपने सैनिकों को सुरक्षित रखना है। इसके लिए उसने अपने सैन्‍य ठिकानों में बदलाव कर दिया। दरअसल , सऊदी अरब के  प्रिंस सुल्तान एयर बेस से ईरान की दूरी काफी है। इसलिए ईरान किसी तरह से ड्रोन हमले में सफल नहीं हो सकता। अगर वह ड्रोन हमले करने की हिमाकत करता है तो अमेरिकी जंगी विमान और राडार उसे लक्ष्‍य तक पहुंचने से पहले विफल कर देंगे। दूसरे, अमेरिका की एक चिंता सऊदी अरब के ऊपर हमले को लेकर है। ईरानी सेनाएं अक्‍सर सऊदी अरब के तेल ठिकानों को निशाना बनाती रहीं हैं। इस ठिकाने से अमेरिकी सैनिक ईरानी हमलों को नाकाम करने में सक्षम होंगे। इस एयर बेस वह ईरानी हमलों को नाकाम करने में सफल होगा। 

तेल संयंत्रों पर हमले के बाद सऊदी ने मांगी थी मदद

अमेरिका के अहम सहयोगी सऊदी अरब के दो तेल संयंत्रों पर गत सितंबर में ड्रोन से हमले किए गए थे। इसके लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया गया था। सऊदी अरब की ओर से मदद मांगे जाने पर अमेरिका ने प्रिंस सुल्तान एयर बेस में सैनिकों की तैनाती की थी। पैट्रियट और थाड भी तैनातप्रिंस सुल्तान एयर बेस में सतह से हवा में मार करने वाली दो पैट्रियट मिसाइल प्रणाली भी तैनात की गई हैं। ये सऊदी अरब के खिलाफ ईरान के किसी भी खतरे को नाकाम करने के लिए हरदम तैयार हैं। इनके अलावा बैलिस्टिक मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली थाड भी वहां भेजी गई है। 

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