योगी सरकार के आने बाद चीनी उद्योग की हालत में काफी सुधार

उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही आठ नई चीनी मिलें स्थापित करने जा रही है। सरकार इसके लिए पांच हजार करोड़ रुपये निवेश भी करेगी। मुजफ्फरनगर में मोरना मिल के विस्तारीकरण का काम शुरू हो चुका है। योगी सरकार आने से पहले यहां चीनी उद्योग की हालत बहुत ही खराब हो चुकी थी। कोई नई मिल लगाने के बजाय पूर्ववर्ती सरकारों ने पुरानी मिलों को अनुपयोगी बताकर औने-पौने दाम में बेच दिया। तमाम मिलें बंद कर दी गईं। गन्ना किसानों की हालत बद से बदतर हो गई, लेकिन योगी सरकार आने बाद चीनी उद्योग की हालत में काफी सुधार आया।

उत्तर प्रदेश में 1935 में गन्ना विकास विभाग विभाग स्थापित हुआ। तब से अब तक इसे लेकर तमाम कानून, अधिनियम बन चुके हैं, समय समय पर मिलें भी स्थापित होती रही हैं, लेकिन इसे व्यवस्थित रूप देने का प्रयास कभी नहीं हुआ। योगी सरकार ने इस तरफ ध्यान देना शुरू किया है। पुरानी चीनी मिलें खोली जा रही हैं, उनका उन्नयन किया जा रहा है, किसानों के जल्द गन्ना भुगतान का मिलों पर दबाव बनाया जा रहा है। भुगतान के लिए मिलों को बैंकों से ऋण की सुविधा दिलाई जा रही है। पूर्वाचल में गोरखपुर और बस्ती मंडल की तमाम चीनी मिलें बंद होने के बाद अब खंडहर हो चुकी हैं तो निश्चित रूप से वहां के गन्ना किसानों की दयनीय हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि योगी सरकार ने गोरखपुर की पिपराइच चीनी मिल को चालू कराकर जिस इच्छाशक्ति का परिचय दिया है, वह वास्तव में सराहनीय है। बाकी बंद मिलों को खोलने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।

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