राजसी ठाट-बाट के साथ सैर-सपाटे के अनोखे एक्सपीरियंस के लिए राजस्थान आने का बनाएं प्लान
राजस्थान घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी होता है। उस दौरान यहां का मौसम बहुत ही सुहावना होता है। इसके अलावा यहां किले, महल, कठपुलती डांस, बाजार और लाजवाब खानपान जैसी कई अनगिनत चीज़ें हैं जो आपके ट्रिप को कहीं से भी उबाऊ नहीं बनाते। तो क्यों न इस बार राजस्थान घूमने का प्लान बनाएं।
कुंभलगढ़ किला
कुंभलगढ़ का किला 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा ने बनवाया था। इस किले की दीवार विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है जो 36 किलोमीटर लम्बी है और 15 फीट चौड़ी है। किले के अंदर 360 से ज्यादा मंदिर हैं जिनमें से 300 प्राचीन जैन मंदिर और बाकि हिन्दू मंदिर हैं। यह एक अभेद्य किला है जिसे दुश्मन कभी नहीं जीत पाए। किले के चारों ओर बड़ी दीवार बनी हुई है जो चीन के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है।
सरिस्का नेशनल पार्क
अलवर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित सरिस्का अभयारण्य प्रकृति एवं वन्यजीव प्रेमी सैलानियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस अभयारण्य में बाघ, चीतल, सांभर, हिरन, नीलगाय, जंगली सूअर तथा अन्य वन्य जीवों को भी स्वच्छंदता से विचरण करते देखा जा सकता है। यहां एक भव्य राजभवन है, जिसका निर्माण महाराजा जयसिंह ने ड्यूक ऑफ एडिनबरा की शिकार-यात्रा के उपलक्ष्य में कराया था। वर्तमान में इसे होटल सरिस्का पैलेस में परिवर्तित कर दिया गया है। यहां राजस्थान पर्यटन विकास निगम का होटल ‘टाइगर डेन’ भी पर्यटकों के लिए उपलब्ध है।
बुलेट बाबा मंदिर
जोधपुर के नज़दीक पाली से 20 किलोमीटर दूर बुलेट बाबा मंदिर बहुत ही अनोखी जगह है, जहां 350cc रॉयल एनफील्ड की पूजा होती है। यह मंदिर ओम बना को समर्पित है जिनकी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। ऐसा कहते हैं कि पुलिस उनकी मोटरसाइकिल को थाने लेकर आई थी लेकिन अगली सुबह वह बाइक उसी दुर्घटना स्थल पर मिली थी। ऐसा एक नहीं कई बार हुआ अंत में पुलिस को इसे ओम बना के आत्मा की इच्छा मानकर वहीं छोड़ना पड़ा।
डेजर्ट में नाइट कैंपिंग
राजस्थान के जैसलमेर आकर आप दिन से लेकर रात तक अद्भुभुत नजारे देख सकते हैं। ढलते सूरज और कैमल राइडिंग के अलावा रात होते ही रंगारंग कार्यक्रम और बोन फायर समां बांधने का काम कर हैं। यहां आएं तो होटल और होमस्टे की जगह कैंपिंग में ठहरने का आनंद लें।
मिस न करें महल की शानो-शौकत
राजस्थान में किले और महलों की कमी नहीं, जिनमें से अब कई महलों और किलों को हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है जहां रुककर आप शाही ठाट-बाट का आनंद ले सकते हैं। जयपुर के अलावा जोधपुर, उदयपुर में ऐसे कई ऑप्शन अवेलेबल हैं।