रोमन कैथोलिक चर्च के सदस्यों द्वारा कम से कम 4815 बच्चों का यौन शोषण किया गया..

पुर्तगाल में बाल यौन शोषण के संदिग्ध 100 से अधिक आरोपी पादरी चर्च की भूमिका में अब भी सक्रिय हैं। पुर्तगाल में रोमन कैथोलिक चर्च के सदस्यों द्वारा कम से कम 4815 बच्चों का यौन शोषण किया गया था।

पुर्तगाल में बाल यौन शोषण के संदिग्ध 100 से अधिक आरोपी पादरी चर्च की भूमिका में अब भी सक्रिय हैं। जनवरी 2022 से जांच कर रहे एक आयोग के प्रमुख ने इसके बारे में जानकारी दी है।

समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, 13 फरवरी को प्रकाशित एक रिपोर्ट में आयोग ने बताया कि पुर्तगाल में रोमन कैथोलिक चर्च के सदस्यों द्वारा कम से कम 4,815 बच्चों का यौन शोषण किया गया था। ज्यादातर पादरी की उम्र 70 वर्ष से अधिक है।

आरोपी पादरियों की संख्या 100 से अधिक

आयोग ने इस संख्या को टिप ऑफ द आइसबर्ग करार दिया है। बता दें कि आरोपी पादरियों की संख्या 100 से अधिक होने का अनुमान है। आयोग का नेतृत्व करने वाले बाल मनोचिकित्सक पेड्रो स्ट्रेच ने एसआईसी टेलीविजन में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वह आरोपी पादरियों की एक लिस्ट तैयार कर रहे है। लिस्ट को चर्च और लोक अभियोजकों के कार्यालय में भेजा जाएगा।

आरोपियों को हटा दिया जाए

पेड्रो स्ट्रेच ने कहा कि लिस्ट में शामिल सभी आरोपियों को उनकी भूमिकाओं से हटा देना चाहिए या कम से कम जांच के दौरान बच्चों और किशोरों के साथ बातचीत करने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इस मामले को लेकर उन्होंने कहा कि अधिकारियों के साथ सहयोग करना चर्च का नैतिक कर्तव्य है।

पादरियों की लिस्ट अब तक नहीं दी गई

विशप कॉन्फ्रेंस के प्रमुख जोस ओरनेलस ने कहा कि संस्थान को अभी लिस्ट नहीं मिली है और इसलिए चर्च अपने सदस्यों के बीच संदिग्धों की खोज का प्रयास नहीं करेगा। ओरनेलस ने कहा कि पुर्तगाली विशप 3 मार्च को मिलेंगे और भविष्य में ऐसी घटना को रोकने के लिए ‘अधिक कुशल और उपयुक्त तंत्र’ को लागू करने पर विचार करेंगे।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने कही ये बात

पुर्तगाली प्रधान मंत्री एंटोनियो कोस्टा ने इस मामले को पूरे समाज को चौंका देने वाला बताया है। इस मामले को लेकर वह न्याय मंत्री सहित सरकारी अधिकारी जांच आयोग के सदस्यों से मुलाकात भी करेंगे। यूएस-आधारित समर्थन समूह सर्वाइवर्स नेटवर्क ऑफ द एब्यूज्ड बाई प्रीस्ट्स (SNAP) ने एक बयान में पुर्तगाली चर्च के अधिकारियों से अपमानजनक पादरियों के नाम, फोटो, निवास स्थान और कार्य इतिहास को प्रमुखता से प्रकाशित करने की भी अपील की।

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