सीएम योगी से कालानमक धान को मिली संजीवनी, किसानों की बढ़ी आय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिशों से महात्मा बुध के महाप्रसाद के रूप में बौद्धकालीन कालानमक धान की खेती को पूर्वांचल में एक बार फिर संजीवनी मिली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिशों से साल दर साल किसानों को इसकी खेती की ओर न केवल रूझान बढ़ रहा ब्लकि इसका रकबा भी बढ़ रहा है। इस बार पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में तकरीबन 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कालानमक धान की रोपाई के लिए नर्सरी डालने का सिलसिला जारी है। यह सब कुछ यूं नहीं हुआ बल्कि एक जिला एक उत्पाद योजना में सिद्धार्थनगर के कालानमक को शामिल कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीआईटैग धारी कालानमक की ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग की रणनीति पर जोर दिया जिसका परिणाम पिछले दो वर्षो से दिखाई दे रहा है। पिछले खरीफ सीजन में तकरीबन 45 हजार हेक्टेयर में किसानों ने कालानमक धान की खेती की।
किसान इन दिनों कालानमक धान की खेती के लिए नर्सरी डालने में जुटे हुए हैं। जिला कृषि अधिकारी अरविंद कुमार चौधरी कहते हैं कि एक एकड़ में रोपाईके लिए 10 किलोग्राम बीज की नर्सरी डालनी चाहिए। यदि सीधी या छींटाई विधि से बोआई करनी है तो बीज की मात्रा एक एकड़ में 12 किलोग्राम लगेगी। बोआई के पूर्व बीज उपचार किया जाना अच्छा रहेगा। सूबे में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार के आने के पहले पूर्वांचल में कालानमक का रकबा 7 से 100 हजार हेक्टेयर के बीच पहुंच गया था। सिर्फ कुछ प्रगतिशील किसान शौकिया इसकी खेती कर रहे थे। लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई स्वाद, खुश्बू और पौष्टिकता में धान की बेजोड़ प्रजाति को योगी सरकार के चार साल में प्रोत्साहन मिला।
डॉ रामचेत चौधरी के प्रयासों को मिला सीएम योगी का साथ
कालानमक की खेती सिद्धार्थनगर जिले में की जाती थी। मान्यता है कि चावल की इस प्रजाति का इतिहास ईसा से 600 वर्ष पूर्व, भगवान बुद्ध के समय का है। कालानमक चावल की कई प्रजातियां विकसित करने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी कहते हैं कि अनुसंधान न होने से इस चावल की उत्पादकता के साथ ही स्वाद-सुगंध कम होने लगी थी। उत्पादन कम होने और पानी ज्यादा लगने के कारण परंपरागत खेती करने वाले किसान भी मुंह मोड़ने लगे थे। कालानमक धान के टेक्नोलॉजी जेनरेशन, यूटिलाइजेशन व पॉपुलराइजेशन यानी नई प्रौद्योगिकी का विकास, उसका प्रयोग और जनता के बीच उसका प्रचार-प्रसार पर पूर्ववर्ती सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी अनिल कुमार त्रिपाठी के मुताबिक स्वाद में बेजोड़ एवं खुश्बू के लिए ख्यात इस धान के लिए 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी क्रांतिकारी परिवर्तन आया। जिसका परिणाम है कि सिद्धार्थनगर से पूर्वी उत्तर प्रदेश होते हुए इसका दायरा समूचे प्रदेश में बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने ऐसे बदला कालानमक की खेती के प्रति रुझान
कालानमक धान को डॉ रामचेत चौधरी के प्रयासों से 25 मार्च 2010 को भौगौलिक सम्पदा (जीआई) घोषित किया गया। समान जलवायु वाले गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती के लिए कालानमक को जीआई टैग मिला। लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने इसके संरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन सांसद रहते सीएम योगी इसके विकास के लिए आवाज उठाते रहे। 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कालानमक को सिद्धार्थनगर का ओडीओपी घोषित किया। बाद में इसे सिद्धार्थनगर के साथ ही बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर भी एक जिला एक उत्पाद घोषित कर दिया है। योगी सरकार के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने भी खेती बाड़ी योजना में एक जिला एक उत्पाद घोषित किया तो कालानमक को गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर का एक जिला एक उत्पाद घोषित किया। 7 अगस्त 2020 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने खेतीबाड़ी के लिए घोषित सूची में कालानमक की खेती के लिए बीज के रूप में कालानमक-101, केएन-3 और किरन संस्तुति की। ये बीज परंपरागत प्रजाति की तुलना में बौनी और कम समय में अधिक उपज देने वाली हैं।
मुख्यमंत्री ने ऐसे बदला कालानमक की खेती के प्रति रुझान
कालानमक धान को डॉ रामचेत चौधरी के प्रयासों से 25 मार्च 2010 को भौगौलिक सम्पदा (जीआई) घोषित किया गया। समान जलवायु वाले गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती के लिए कालानमक को जीआई टैग मिला। लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने इसके संरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन सांसद रहते सीएम योगी इसके विकास के लिए आवाज उठाते रहे। 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कालानमक को सिद्धार्थनगर का ओडीओपी घोषित किया। बाद में इसे सिद्धार्थनगर के साथ ही बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर भी एक जिला एक उत्पाद घोषित कर दिया है। योगी सरकार के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने भी खेती बाड़ी योजना में एक जिला एक उत्पाद घोषित किया तो कालानमक को गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर का एक जिला एक उत्पाद घोषित किया। 7 अगस्त 2020 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने खेतीबाड़ी के लिए घोषित सूची में कालानमक की खेती के लिए बीज के रूप में कालानमक-101, केएन-3 और किरन संस्तुति की। ये बीज परंपरागत प्रजाति की तुलना में बौनी और कम समय में अधिक उपज देने वाली हैं।
अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योग नवनीत सहगल कहते हैं कि कालानमक धान पूर्वांचल के 20 जिलों में किसानों की जिंदगी में बदलाव ला रहा है। किसानों की आय बढ़ाने को प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसके प्रोसाहन में निजी रुचि लेते हैं। सिद्धार्थनगर में 15 करोड़ रुपये की लागत से सीएफसी का निर्माण किया जा रहा है। एफपीओ बना कर किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसकी खुश्बू,स्वाद और पौष्टिकता को बरकरार रखते हुए इसकी उपज बढ़ाने, ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर खासा जोर