2003 में चली गई थी आंखों की रोशनी, अब 23 की उम्र में पास की IAS परीक्षा
2003 में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण ओडिशा के बड़े अस्पताल में तपस्वनी की आंखों की रोशनी चली गई। लेकिन कठिनाइयों के बावजूद तपस्वनी का कामयाबी हासिल करने का सपना कम नहीं हुआ और 23 साल की उम्र में उन्होंने ओडिशा सिविल सर्विस की परीक्षा पहली बार में पास कर करके दिखाई।
जिस समय तपस्वनी की आंखों की रोशनी गई उस समय तपस्वनी दूसरी क्लास में पढ़ती थी। तपस्वनी ने ओडिशा सिविल सर्विस परीक्षा 2018 में 161 रैंक हासिल की है। वह जनरल उम्मीदवार के तौर पर परीक्षा में बैठी थी। ओडिशा में ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब किसी दिव्यांग उम्मीदवार ने सिविल सर्विस परीक्षा पास की हो। 2017 में ओडिशा पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा आयोजित सिविल सर्विस परीक्षा में 8 दिव्यांग उम्मीदवारों ने सफल उम्मीदवारों की लिस्ट में अपनी जगह बनाई थी।
अपनी सफलता का मंत्र बताते हुए तपस्वनी ने कहा कि अगर दृढ़ निश्चय हो और धीरज हो तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने बताया कि मुझे अच्छे से पता था कि मैं पहली बार में परीक्षा पास कर लूंगी। तपस्वनी अब भुवनेश्वर उत्कल यूनिवर्सिटी से राजनैतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं।
तपस्वनी ने 9वीं क्लास में ही फैसला कर लिया था कि वो सिविल सर्विस में जाएगी। हालांकि उनकी पहली प्राथमिकता यूपीएससी थी, लेकिन जब उन्होंने अखबार में ओपीएससी का विज्ञापन पढ़ा तो उन्होंने ओडिशा सिविल सर्विस परीक्षा देने का फैसला किया।
तपस्वनी बताती हैं कि जिन लोगों की दोनों आंखें सही होती हैं वो आराम से किताबें पढ़ सकते हैं, लेकिन मुझें कई किताबों की रिकॉर्डिंग पर निर्भर रहना पड़ता था। मैंने कई किताबें अपने लैपटॉप में स्कैन करके ऑडियो फॉर्मेट में सेव कर रखती थीं। तपस्वनी का कहना है कि मैंने कभी चुनौतियों से हार नहीं मानी और अपने आप से कहा एक कोशिश करके देखा जाए। ओडिशा कोपरेटिव हाउसिंग कोरपोरेशन से रिटायर डिप्टी मैनेजर हैं और उनकी मां कृष्णाप्रिया मोहंती एक अध्यापिका हैं। उनके लिए तपस्वनी ही उनकी बेटी और बेटा है