30 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है जब दो देशों के बीच की सीमा को खोला गया..
विनाशकारी भूकंप के बाद राहत-बचाव कार्य के बीच 11 फरवरी को आर्मेनिया और तुर्किए के बीच की सीमा द्वार को खोल दिया गया। 30 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है जब दो देशों के बीच की सीमा को खोला गया।
विनाशकारी भूकंप के बाद राहत-बचाव कार्य के बीच 11 फरवरी को आर्मेनिया और तुर्किए के बीच की सीमा द्वार को खोल दिया गया।
तुर्की की समाचार एजेंसी अनादोलु की रिपोर्ट के मुताबिक, 30 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है जब दो देशों के बीच की सीमा को खोला गया। बता दें कि भूकंप पीड़ितों को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए सीमा को खोलने का बड़ा कदम उठाया गया।
भोजन और पानी समेत कई सहायता पहुंचाई जा रही
आर्मेनिया के साथ वार्ता स्थापित करने के लिए तुर्किए के विशेष दूत सेरदार किलिक ने ट्वीट कर जानकारी दी कि 100 टन भोजन और पानी समेत सहायता के साथ पांच ट्रक अलीकन सीमा से तुर्किए पहुंचे है। इस बीच, आर्मेनिया गणराज्य की नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष, रूबेन रुबिनियन ने भी कहा, ‘मानवीय सहायता वाले ट्रक आज (12 फरवरी) अर्मेनियाई-तुर्की सीमा पार कर गए और अपने रास्ते पर हैं।’
तुर्की और अर्मेनिया के बीच संबंध हैं तनावपूर्ण
समाचार एजेंसी अनादोलु के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि तुर्की और अर्मेनिया के बीच संबंध दशकों से तनावपूर्ण रहे हैं और दोनों पड़ोसियों के बीच भूमि सीमा 1993 से बंद है। 1990 के दशक के बाद से, दोनों देशों के बीच की सीमा बंद है।
दोनों देशों के बीच संबंध इसलिए खराब है क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध के दौर में ओटोमन साम्राज्य में बड़ी संख्या में लोगों की हत्या हुई थी। इसे आर्मेनिया नरसंहार मानता है। उस दौरान लगभग 300,000 अर्मेनियाई लोगों की मृत्यु हो गई थी। जानकारी के लिए बता दें कि लगभग 30 देश आधिकारिक तौर पर अर्मेनियाई नरसंहार को मान्यता देते हैं।
6 फरवरी को आया था भूकंप
बता दें कि 6 फरवरी को तुर्किए और सीरिया में 7.8 की तीव्रता का शक्तिशाली भूंकप आया था। इसमें दोनों देशों के 25 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद भारत समेत 70 देशों ने भूकंप पीड़ितों के लिए मदद भेजी।