तेजाब हमले की शिकार हुई 567 बेटियों ने बीते दो वर्षों में स्कूलों में लिया दाखिला
हौसला हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना किया जा सकता है। तेजाब हमला झेल चुकीं बेटियां इसे साबित कर रही हैं। इनकी जिंदगी में एक पड़ाव ऐसा भी आया जब लगा कि सबकुछ खत्म हो गया है, लेकिन बेटियों ने हार नहीं मानी। तेजाब हमले में किसी का चेहरा झुलस गया तो किसी की आंख की रोशनी कम हो गई लेकिन अब बुलंद हौसले से अपनी जिंदगी संवार रही हैं। दूसरे बच्चों की तरह स्कूल में ये भी पढ़ाई करने आ रही हैं। बिहार में तेजाब हमले का सामना करने वाली एक-दो नहीं बल्कि 567 बेटियों ने बीते दो वर्षों में स्कूलों में दाखिला लिया है।
परिवारिक विवाद, एकतरफा प्रेम प्रसंग, भूमि विवाद में सबसे ज्यादा तेजाब हमला जिन छात्राओं पर तेजाब हमले हुए हैं, उनमें ज्यादातर मामलों में परिवारिक, भूमि विवाद और एक तरफा प्रेम प्रसंग सामने आए हैं। इसके अलावा कई घटनाएं दहेज देने से इनकार पर हुई है। छेड़खानी का विरोध करने और शादी का प्रस्ताव ठुकराने के कारण भी कई बेटियां तेजाब हमले की शिकार हुई हैं। संपत्ति विवाद में तेजाब हमले के मामले आते रहे हैं। संपत्ति की लड़ाई हुई और इसका खामियाजा बेटी को भुगतना पड़ा। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की मानें तो तेजाब हमले की सबसे अधिक शिकार ग्रामीण इलाके की बच्चियां हुई हैं। साल 2021 में भारत सरकार ने दिव्यांग कोटि में तेजाब हमले के शिकार लोगों को भी शामिल कर लिया। इसके बाद राज्यभर में तेजाब हमला पीड़ित बच्चियों के स्कूल में दाखिला लेने का सिलसिला शुरू हुआ। दो वर्षों में सबसे ज्यादा सारण से 41 एसिड पीड़िताओं ने दाखिला लिया है। वहीं नवादा जिले से 36, वैशाली में 30, मुजफ्फरपुर में 27, सुपौल में 26 ने स्कूल में दाखिला कराया है।
तेजाब हमला पीड़ितों की जिलावार स्कूलों में नामांकन
अररिया 19
अरवल 06
औरंगाबाद 14
बांका 23
बेगूसराय 16
भागलपुर 17
भोजपुर 12
बक्सर 13
दरभंगा 11
पूर्वी चंपारण 10
गया 11
गोपालगंज 07
जमुई 05
जहानाबाद 10
कैमूर 08
कटिहार 09
खगड़िया 05
किशनगंज 08
लखीसराय 12
मधेपुरा 13
मधुबनी 12
मुंगेर 13
मुजफ्फरपुर 27
नालंदा 11
नवादा 36
पटना 20
पूर्णिया 15
रोहतास 20
सहरसा 11
समस्तीपुर 10
सारण 41
शेखपुरा 09
शिवहर 06
सीतामढ़ी 15
सीवान 17
सुपौल 26
वैशाली 30
प. चंपारण 9
(आंकड़े 2021-2022 के)
चेहरा और हाथ हुआ खराब पर हौसला है बुलंद
सोनी कुमारी (बदला हुआ नाम) नौवीं में पढ़ती है। पटना की रहने वाली सोनी ने बताया कि छुट्टियों में गांव गई थी। एक लड़का परेशान कर रहा था। उसे एक दिन डांट दिया तो उसने तेजाब फेंक दिया। एक बार तो लगा कि जिंदगी खत्म हो गई, लेकिन मैंने फिर अपनी पढ़ाई शुरू की है। वहीं सीवान की पल्लवी (बदला हुआ नाम) इस बार मैट्रिक परीक्षा दे रही है। पल्लवी ने बताया कि आपसी मतभेद के कारण पड़ोस के एक लड़के ने तेजाब फेंक दिया।
सारण में 30 बच्चियां शिकार
यू-डायस के आंकड़ों के अनुसार 2022 में नामांकन लेने वाली तेजाब हमले की शिकार सबसे ज्यादा 30 बच्चियां सारण की हैं। वहीं, वैशाली की 19 व पटना की 15 बच्चियां हैं। इसके अलावा तमाम जिलों में भी कई बच्चियों ने नए सिरे से अपनी पढ़ाई शुरू की है। वहीं 2021 के आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा सुपौल में 24, अररिया में 14, पूर्णिया में 12, सहरसा में 11, जहानाबाद में 17 और नवादा में तेजाब हमला पीड़ित 25 बच्चियों ने स्कूलों में दाखिला लिया।
पद्मश्री सुधा वर्गीज का कहना है कि तेजाब फेंकने की घटनाएं ग्रामीण इलाकों में एक बड़ी सामाजिक चुनौती है। इससे बेटियों का मनोबल टूटता है। पर हाल के वर्षों में सकारात्मक बदलाव आया है। अब बेटियां इस संताप से उबरकर अपनी जिंदगी फिर से संवारने में जुट रही हैं। पढ़ाई में जुटीं ये बेटियां हमारी प्रेरणा की स्रोत हैं।