सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस नीति से सुपर एक्टिव हुई एसआईटी
- प्रदेश में फर्जी डिग्री-मार्कशीट और भर्ती घोटालों परएसआईटी की सख्ती से लगी लगाम
- गंभीर मामलों में एसआईटी की तेजी से जल्द हो रहा निस्तारण
- सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस नीति से सुपर एक्टिव हुई एसआईटी
- पिछले पांच वर्षों में दोगुनी रफ्तार से मामलों का किया निपटारा
लखनऊ, 18 मई:
यूपी पुलिस के राज्य विशेष अनुसंधान दल
(एसआईटी) की सख्ती का असर प्रदेश में बड़े घोटालों के
मामलों में निस्तारण के रूप में देखने को मिल रहा है।
एसआईटी द्वारा उठाए गए कदमों का ये असर हुआ है कि
प्रदेश में फर्जी डिग्री-मार्कशीट, सरकारी विभागों में भर्ती
घोटाला, राजस्व की चोरी और छात्रवृत्ति में अनियमितता जैसे
तमाम बड़े घोटालों पर अंकुश लगा है। एसआईटी ने पिछले
पांच वर्षों में न केवल गंभीर आर्थिक अपराधों और प्रकरणों
का समयसीमा में निस्तारण किया, बल्कि जिन संस्थानों में
इस तरह के गंभीर मामले देखने को मिल रहे हैं, उन्हें भी
सुझाव देने के साथ ही उनके लूप होल्स से अवगत कराया है।
इसका नतीजा यह रहा कि गंभीर मामलों पर रोक लगने के
साथ ही दोबारा ऐसे गंभीर मामलों नहीं हुए। इतना नहीं
एसआईटी ने पिछले पांच वर्षों में काफी रफ्तार से पेंडिंग
मामलों के साथ वर्तमान मामलों को निस्तारित किया। साथ
ही अपने ऑफिस को पूरी तरह से डिजिटाइज किया गया,
जिससे मामलों के निस्तारण में तेजी दिखी। मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने एसआईटी के इन प्रयासों की सराहना की। वहीं
दूसरी अन्य जांच एजेंसियों को भी एसआईटी से सीख लेकर
अपनी कार्य प्रणाली में बदलाव की सलाह दी। मालूम हो कि
योगी सरकार जीरो टॉलरेंस नीति के तहत काम कर रही है।
इसी के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में यूपी
पुलिस की सभी इकाइयों की समीक्षा बैठक की थी, जिसमें
उन्होंने एसआईटी की कार्यप्रणाली की काफी तारीफ की थी।
पिछले दस वर्षों की तुलना में पांच वर्षों में दोगुने मामले
निपटाये गये
एसआईटी डीजी रेणुका मिश्रा ने बताया कि विभाग की ओर से
पिछले पांच वर्षों में दोगुनी रफ्तार से मामलों की जांच और
विवेचना की गयी। इस दौरान वर्तमान के साथ वर्षों से लंबित
चले आ रहे मामलों का भी तेजी से निस्तारण किया गया।
वर्ष 2007 से 2016 के बीच 32 माह में जहां 47 मामलों का
निस्तारण किया गया, वहीं वर्ष 2017-2023 के बीच 25 माह में
ही दोगुनी के करीब 88 जांचों को पूरा किया गया। इसी तरह
वर्ष 2007 से 2016 के बीच 31 माह में 40 मामलों की
विवेचना पूरी की गयी, जबकि पांच वर्षों 2017 से 2023 के
बीच 28 माह में 82 मामलों में विवेचना पूरी की गयी, जिसमें
लंबित मामले भी शामिल हैं। इन मामलों में 1203 करोड़ की
राजस्व क्षति को रोका गया। वहीं 351 दोषी कर्मचारी और
अधिकारियों पर कार्रवाई की गयी, जबकि 1002 को सजा
दिलायी गयी। विभाग ने मामलों के निस्तारण में तेजी लाने
के लिए अपना खुद 100 दिन का टारगेट सेट किया, जिसमें
कुल लंबित 82 मामलों के आधे मामलों के निस्तारण का
लक्ष्य रखा गया, जिसमें 41 मामले निपटाये गये। इसी तरह
पिछले 6 माह में वर्ष 2021 से पूर्व के लंबित मामलों के
निस्तारण का लक्ष्य रखा गया, जिसमें 42 पुराने और 12
मामले नये निपटाये गये।
सीबीआई की तर्ज पर काम करेगी एसआईटी
डीजी रेणुका मिश्रा ने बताया कि सभी मामलों की जांच और
विवेचना में तेजी लाने के लिए विभाग में कई परिवर्तन किये
गये, जिससे इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इसके लिए
विभाग का पूरी तरह से कंप्यूटराइजेशन, डिजिटाइजेशन किया
गया। इसके साथ अधिकारियों और विवेचक को टैबलेट दिये
गये। वहीं विभाग में ई ऑफिस और केस मैनेजमेंट सिस्टम
को लागू किया गया, जिससे जांच और विवेचनाओं की
पत्रवालियों को एक क्लिक पर पढ़ा जाने लगा और संबंधित
अधिकारी को उसकी कमी से अवगत कराते हुए तत्काल
अपडेट किया गया। वहीं जांच और विवेचना की डिटेल किसके
पास कितनी जांच है, उसकी क्या प्रगति है और वह कितने
समय से लंबित है आदि का डाटा ई ऑफिस पर होने से
मामलों के निस्तारण में तेजी आयी। डीजी ने बताया कि
विभाग ने सीबीआई के मानकों के आधार पर 3 माह में जांच
और 1 साल में विवेचना पूरी करने का लक्ष्य रखा है, जिसे
जल्द पूरा कर लिया जाएगा।