पंजाब सरकार ने स्कूल फीस वसूली में हाईकोर्ट के आदेश को दी चुनौती
पंजाब। निजी स्कूलों को कुल फीस का 70 प्रतिशत वो भी दो किस्तों में छह महीनों में अभिभावकों से वसूले जाने के हाईकोर्ट के 22 मई के आदेश को त्रुटिपूर्ण बताते हुए पंजाब सरकार ने संशोधन की मांग को लेकर हाईकोर्ट में अर्जी दायर की है।
कोर्ट ने अर्जी पर निजी स्कूलों की संस्था इंडिपेंडेंट स्कूल्ज एसोसिएशन सहित अन्य वादी पक्षों को 12 जून के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है।
पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कहा कि कोरोना के कारण पैदा हुई परिस्थिति में अभिभावकों की आय बुरी तरह से प्रभावित हुई है। स्कूल बंद पड़े थे ऐसे में सरकार ने निजी स्कूलों को सिर्फ इस दौरान की ट्यूशन फीस और वो भी उन स्कूलों को जिन स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास की सुविधा है उन्हें ही वसूले जाने की इजाजत दी थी।
हाईकोर्ट ने ट्यूशन फीस सहित सभी फीस का कुल 70 प्रतिशत जमा करवाने के आदेश दे दिए। इस आदेश से पहले हाईकोर्ट को अभिभावकों का पक्ष सुनना चाहिए था।
हाईकोर्ट ने सिर्फ स्कूलों का पक्ष सुन यह आदेश दे दिए जबकि इन स्कूलों को पहले अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी देनी चाहिए थी। पंजाब सरकार ने निजी स्कूलों के शिक्षकों को 70 प्रतिशत वेतन दिए जाने के आदेशों पर कहा है कि जब केंद्रीय श्रम मंत्रालय और बाद में पंजाब सरकार यह आदेश दे चुकी थी कि सभी कर्मियों को पूरा वेतन दिया जाना चाहिए तो कैसे निजी स्कूलों के शिक्षकों को सिर्फ 70 प्रतिशत वेतन दिए जाने को कहा गया। यह आदेश दिए जाने से पहले निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का पक्ष भी एक बार जरूर सुना जाना चाहिए था।
पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने अभिभावकों को लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण उन्हीं आय में हुई हानि के कारण ही निजी स्कूलों को फीस जमा करवाने की अंतिम तिथि बढ़ाने को कहा था और ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस की वसूली पर रोक लगाई थी क्योंकि स्कूली बसें नहीं चल रही है तो कैसे ट्रांसपोर्टेशन फीस मांगी जा सकती है ट्यूशन फीस भी स्कूलों के खुलने पर जमा करवाने के आदेश दिए थे ताकि छात्रों और अभिभावकों को कोई परेशानी न आए।