राज्यपाल ने प्रयागराज में आयोजित 73वें हिन्दी साहित्य सम्मेलन में ऑनलाइन प्रतिभाग किया

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल से आज राजभवन से प्रयागराज में आयोजित 73वें सम्मेेलन में बतौर मुख्य अतिथि ऑनलाइन प्रतिभाग किया। इस अवसर पर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने सम्मेलन में पूर्व राज्यपाल एवं विधिवेत्ता पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी द्वारा हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में पहचान दिये जाने की कामना पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश के नेतृत्व में हिन्दी के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं, जिससे हिन्दी भाषा सशक्त होगी और समय आने पर राष्ट्रभाषा भी बन सकती है।
हिन्दी के समग्र विकास के लिए राज्यपाल जी ने इसे देश की तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा से जोड़े जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षक, शिक्षाविद् और शिक्षा जगत से जुड़े प्रबंधक सभी इस दिशा में साकारात्मक सोच के साथ प्रयास करें। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रूप में एक अभूतपूर्व अवसर उपलब्ध हुआ है जिसका पालन कर देश और देश के युवाओं का भविष्य उज्ज्वल और सुरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमंत्री विदेशों में अपने भाषण हिन्दी में ही देते हैं, जो विदेशों में हिन्दी की ताकत को स्थापित करता है।
उन्होंने अपने सम्बोधन में स्वदेशी भाषाओं में शिक्षा और काम-काज करने को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी भाषाओं में शिक्षा और कामकाज को बढ़ावा मिलने से सभी भारतीय भाषाओं के बीच समन्वय स्थापित होगा। भाषाओं में सीधे आपसी अनुवाद को बढ़ाकर हम अपने बौद्धिक समाज को भी ताकत देंगे। पाठक साहित्य मातृभाषा में पढ़ना पसन्द करते हैं। सभी भाषाओं की पुस्तकों की जरूरत सभी भाषाओं में होगी। राज्यपाल जी ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हिन्दी भाषा के विकास के लिए अनेक ऐसे कदम उठाए हैं, जिसकी वजह से आज हिन्दी का प्रचलन बढ़ रहा है।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल जी ने तीन भाषा सीखने की आवश्यकता तथा बदलते वैश्विक परिवेश में देश की भाषाओं पर नए सिरे से विचार, देश की बहुभाषा व्यवस्था से लाभ के लिए चिन्तन की आवश्यकता पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने सम्मेलन में हिन्दी के विकास में योगदान देने वाले सभी विद्धानों के स्मरण में अभिनंदन किया और आयोजकों को सम्मेलन आयोजन की बधाई दी।
सम्मेलन में पूर्व राज्यपाल पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की अपनी कामना के साथ इसकी समृद्धि के लिए इसके प्रयोग और प्रचलन को बढ़ावा देने पर जोर दिया। सम्मेलन की विशिष्ट अतिथि प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज द्वारा हिन्दी सेवा और करोड़ो लोगो को हिन्दी साहित्य से जोड़ने के लिए बधाई दी।
इस अवसर पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 नागेश्वर राव तथा सम्मेलन के अध्यक्ष डा0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में प्रयागराज की महापौर अभिलाषा गुप्ता, सम्मेलन के पदाधिकारीगण, हिन्दी के विद्धान एवं साहित्यकारों सहित बड़ी संख्या में हिन्दी प्रेमी उपस्थित थे।

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