राज्यपाल की अध्यक्षता में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ का दीक्षान्त समारोह सम्पन्न
लखनऊः 22 मार्च, 2022 उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ का छठा दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल जी ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी और कहा कि जो विद्यार्थी पदक प्राप्त करने से रह गए हैं वे अपनी क्षमताओं को कम न आंके क्योंकि कुछ नंबरों से आगे-पीछे हो जाना आपके आगामी जीवन में प्रभावी नहीं होगा। उन्होंने कहा भविष्य में जीवन की सफलता आप द्वारा प्राप्त किए गए ज्ञान और जीवन लक्ष्यों को लगन के साथ पूरा करने से प्राप्त होगी।
विश्वविद्यालय की विशेषता का उल्लेख करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि इस संस्थान का नाम देश के महान सूफी-संत ख्वाजा मुुईनुद्दीन चिश्ती से जुड़ा है, जिन्हें गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि देश के ऐसे सूफी-संत को नमन करती हूँ, जिन्होंने प्रेम और सौहार्द का पैगाम दिया। उन्होंने भाषा विश्वविद्यालय में उर्दू, अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी एवं फ्रेन्च भाषाओं को एलिमेन्ट्री विषय के रूप में पढ़ाये जाने कि पहल पर प्रसन्नता व्यक्त की।
भाषायी ज्ञान को रोजगार से जोड़ने पर चर्चा करते हुए उन्होंने अपने सम्बोधन में अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के साथ-साथ भारतीय भाषाओं विशेषकर क्षेत्रीय बोलियों एवं भाषाओं पर आधारित अधिक से अधिक पाठ्यक्रम चलाने पर बल दिया। उन्होंने कहा इन पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाने की दिशा में भी विश्वविद्यालय को सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है। राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के लिए विभिन्न प्रकोष्ठों के गठन पर प्रसन्नता व्यक्त की।
इसी क्रम में पुराने छात्रों के योगदान पर चर्चा करते हुए राज्यपाल जी ने कानपुर आई0आई0टी0 के पुराने छात्रों द्वारा अपने संस्थान के संसाधनों की बढ़ोत्तरी के लिए दिए गए योगदानों को अनुकरणीय बताया और कहा ये हमारे सभी युवाओं के लिये प्रेरक है। उन्होंने कहा कि इस भाषा विश्वविद्यालय से निकले वे पुराने छात्र जो आज कहीं न कहीं अच्छे-अच्छे उच्च पदों पर होंगे, उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने पूर्व शैक्षिक संस्थान की मदद करें, ताकि आने वाली पीढ़ी को और बेहतर संसाधनों के साथ अध्ययन करने का अवसर मिल सके।
विश्वविद्यालय की विशेषता का उल्लेख करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि इस संस्थान का नाम देश के महान सूफी-संत ख्वाजा मुुईनुद्दीन चिश्ती से जुड़ा है, जिन्हें गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि देश के ऐसे सूफी-संत को नमन करती हूँ, जिन्होंने प्रेम और सौहार्द का पैगाम दिया। उन्होंने भाषा विश्वविद्यालय में उर्दू, अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी एवं फ्रेन्च भाषाओं को एलिमेन्ट्री विषय के रूप में पढ़ाये जाने कि पहल पर प्रसन्नता व्यक्त की।
भाषायी ज्ञान को रोजगार से जोड़ने पर चर्चा करते हुए उन्होंने अपने सम्बोधन में अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के साथ-साथ भारतीय भाषाओं विशेषकर क्षेत्रीय बोलियों एवं भाषाओं पर आधारित अधिक से अधिक पाठ्यक्रम चलाने पर बल दिया। उन्होंने कहा इन पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाने की दिशा में भी विश्वविद्यालय को सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है। राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के लिए विभिन्न प्रकोष्ठों के गठन पर प्रसन्नता व्यक्त की।
इसी क्रम में पुराने छात्रों के योगदान पर चर्चा करते हुए राज्यपाल जी ने कानपुर आई0आई0टी0 के पुराने छात्रों द्वारा अपने संस्थान के संसाधनों की बढ़ोत्तरी के लिए दिए गए योगदानों को अनुकरणीय बताया और कहा ये हमारे सभी युवाओं के लिये प्रेरक है। उन्होंने कहा कि इस भाषा विश्वविद्यालय से निकले वे पुराने छात्र जो आज कहीं न कहीं अच्छे-अच्छे उच्च पदों पर होंगे, उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने पूर्व शैक्षिक संस्थान की मदद करें, ताकि आने वाली पीढ़ी को और बेहतर संसाधनों के साथ अध्ययन करने का अवसर मिल सके।
राज्यपाल जी ने अपने सम्बोधन में जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, रक्तदान, प्लेटलेट दान, बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर का टीका लगवाने कि दिशा में शैक्षणिक संस्थानों के योगदान पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जितना जल वर्ष भर में उपयोग में लाया जाता है। वो उतना जल संरक्षण हेतु प्रभावी प्रयास करे। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों को रक्तदान-प्लेटलेट दान जैसे मानव जीवन उपयोगी मुहिम से जुड़ने का आह्यान भी किया। उन्होंने कहा मानव-जीवन को बचाने में इसकी कमी को सिर्फ दान के द्वारा नैसर्गिक रूप से ही प्राप्त किया जा सकता और इसके दान से कोई शारीरिक क्षति भी नही होती हैं, ये स्वतः शरीर में फिर बन जाता है। राज्यपाल जी ने बालिकाओं को सर्वाइकल कैंसर रोधी टीका लगवाने की दिशा ने शैक्षणिक संस्थानों द्वारा परिवारों तक जागरूकता का प्रसार करने पर भी जोर दिया। उन्होंने भारत को वर्ष 2025 तक टी.बी. मुक्त कराने के केन्द्र के संकल्प का स्मरण कराते हुए विश्वविद्यालय को 25 क्षय रोगियों को चिकित्सा व्यवस्था, पोषण, दवा की उपलब्धता कराकर स्वस्थ बनाने की दिशा में सहयोग हेतु गोद लेने की अपील की।
समारोह में राज्यपाल जी ने संस्थान के 83 विद्यार्थियों को 93 पदक प्रदान किए। इसमें विविध संकाय के विद्यार्थियों ने 39 स्वर्ण, 27 रजत, 27 कांस्य पदक प्राप्त किए। छात्रों ने 43 पदक तथा छात्राओं ने 40 पदक प्राप्त किए। राज्यपाल जी ने समारोह में माध्यमिक विद्यालय से आए 20 छात्रों को पठन-पाठन सामग्री की किट में एक बैग, पानी की बोतल, पेंसिल बॉक्स, महात्मा गांधी की पुस्तक “मेरे सत्य के प्रयोग” तथा फलों की टोकरी प्रदान कर उत्साहवर्धन किया।
समारोह में विशिष्ट अतिथि लोक गायिका एवं पद्मश्री श्रीमती मालिनी अवस्थी ने विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए आजीवन अध्ययन करते रहने को कहा। उन्होंने समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों को बताया कि ज्ञान प्राप्ति के लिए विनम्रता पहली आवश्यकता है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आलोक कुमार राय ने समारोह में विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की और कहा कि विश्वविद्यालय का अंतिम दिन किसी विद्यार्थी के लिए जीवन की जंग में कूदने का पहला दिन भी होता है। उन्होंने विद्यार्थियों की सफलता की कामना करते हुए कहा कि वे अपने जीवन में ऐसे आयाम स्थापित करें जो न केवल उनके लिए बल्कि समस्त राष्ट्र एवं समाज के लिए उपयोगी हों।
दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के समस्त संकायों के शिक्षकगण, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, छात्र-छात्राएं एवं माध्यमिक विद्यालय से आए बच्चे भी उपस्थित थे।
——
उॉ0सीमा गुप्ता