Tanya Shergill करेंगी पुरुषों की परेड का नेतृत्व, बोली- वर्दी पहनने के बाद हम सिर्फ फौजी हैं
नई दिल्ली। कैप्टन तान्या शेरगिल इस Republic Day 2020 पर जब परेड दिवस की कमान संभालेंगी तो देश और दुनिया में उनका सिर फख्र से और ऊंचा हो जाएगा। वो पहली महिला कैप्टन हैं जो परेड की कमान संभालने जा रही हैं। आर्मी के कार्प्स ऑफ सिग्नल्स की कैप्टन तान्या शेरगिल पंजाब के होशियारपुर से हैं औरसेना के सिग्नल कोर में कैप्टन हैं। महिला होकर परेड एडज्यूटेंट की जिम्मेदारी संभालने वाली तान्या का के विचार साफ हैं। महिला होने के बावजूद उनका कहना है कि वर्दी पहनने के बाद हम सिर्फ फौजी हैं।
26 साल की इस महिला अफसर तान्या गुरुवार को राजपथ पर हुई फुल ड्रेस रिसर्सल के दौरान ऑल मेन कॉन्टीजेंट का नेतृत्व करते हुए फख्र के साथ आगे बढ़ रही थीं तो सभी की नजरें उन्हीं पर थीं। परेड की रिहर्सल के बाद मीडियासे बात करते हुए तान्या ने कहा, यह बेहद गर्व से भरा अनुभव है, यह एक उपलब्धि और बेहद महत्वपूर्ण है। यह एक आशीर्वाद की तरह है।
तान्या कहती हैं कि वो ऐसे परिवार से हैं जहां सेना के किस्से और कहानियां नाश्ते और खाने की टेबल पर बातचीत का हिस्सा होते हैं। चार पीढ़ी सेना की सेवा कर चुकी है और ऐसे में उनका सेना में आना स्वाभाविक है। मैंने तब इसके लिए आवेदन दिया था जब में अपने इंजीनियरिंग कोर्ट के आखिरी साल में थी और बाद में मेरा सेना में सिलेक्शन हो गया। OTA में ट्रेनिंग के बाद मै 2017 में कॉर्प्स ऑफ सिग्नल्स में कमिशन हुई। परेड के इतिहास में नेतृत्व करने वाली मैं पहली महिला हूं।
जब तान्या से कहा गया कि वो उन लड़कियों के लिए क्या संदेश देना चाहती हैं तो तान्या ने कहा कि जब हम यूनिफॉर्म पहनते हैं तो हम फौजी हो जाते हैं और जेंडर का कोई मतलब नहीं रह जाता। मैं उनसे कहूंगी कि वो अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाएं। वो खुद पर भरोसा करें। कुछ लोग उन्हें कमतर मानते हैं लेकिन उन पर ध्यान ना दें। बस अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रीत करें।
बता दें कि चेन्नई स्थित ऑफिसर ट्रेनिंग अकेडमी से मार्च 2017 में तान्या शेरगिल को सेना में शामिल किया गया। इलेक्ट्रॉनिक्स व कम्युनिकेशन ग्रेजुएट हैं। तान्या से पहले कैप्टन भावना कस्तूरी के हाथ में गणतंत्र दिवस पर सभी पुरुषों की टुकड़ियों के परेड का नेतृत्व करने का जिम्मा था। बता दें कि शेरगिल का पूरा परिवार सेना में काम कर चुका है। उनके पिता तोपखाने (अर्टिलरी), दादा बख्तरबंद (आर्मर्ड) और परदादा सिख रेजिमेंट में पैदल सैनिक (इन्फेंट्री) के तौर पर रह चुके हैं।