UP में बिजली एक बार फिर महंगी, 66 पैसे प्रति यूनिट बढ़ी बिजली की दर

करोड़ों रुपया के पीएफ घोटाला के बीच उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने अब जनता को नये साल में झटका दिया है। नये साल में महंगी बिजली की दर से जनता को बड़ा झटका लगेगा।

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने साल भर में दूसरी बार बिजली की दर में इजाफा किया है। नये साल में उत्तर प्रदेश की जनता को योगी आदित्यनाथ सरकार से बड़ा झटका मिला है। उत्तर प्रदेश में बिजली की कीमतें एक बार फिर बढ़ा दी गई हैं। प्रदेश में प्रति यूनिट 66 पैसे तक बिजली के रेट बढ़े हैं। इससे सभी श्रेणी के बिजली उपभोक्ता प्रभावित होंगे। प्रदेश में इस बार तो बिजली की दर बढ़ाने मेें विद्युत नियामक आयोग की मंजूरी भी नहीं ली गई है। बिना विद्युत नियामक आयोग की मंजूरी के रेट को बढ़ा दिया गया है। इस बार यूपीपीसीएल ने खुद से ही रेट बढ़ाया है। प्रदेश में उपभोक्ता की विभिन्न श्रेणियों में पहली जनवरी से 12 पैसे से 43 पैसे प्रति यूनिट तक बिजली महंगी होगी। बीते सितंबर माह में ही प्रदेश में बिजली की दरों में इजाफा किया गया था। 

पावर कॉरपोरेशन की तरफ से जनवरी के बिल में ही बढ़ी दरों को लागू करने का निर्देश दिया गया है। अचानक बिजली दरें बढऩे पर विद्युत उपभोक्ता परिषद उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग पहुंच गया है। इस मामले में विद्युत उपभोक्ता परिषद ने जनहित याचिका दाखिल की है। पावर कारपोरेशन ने चार से 66 पैसा प्रति यूनिट तक की बिजली की दर में अचानक बढ़ोत्तरी के पीछे कोयला और तेल के दाम में इजाफा बताया है।

सितंबर में ही हुई थी बढ़ोत्तरी

सितंबर 2019 में ही उत्तर प्रदेश में बिजली दरों मे बढ़ोत्तरी की गई थी। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के आदेशों के अनुसार शहरी और कॉमर्शियल क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए भी बिजली की दरों में इजाफा कर दिया था। शहरी क्षेत्र में जहां लगभग 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई, वहीं औद्योगिक क्षेत्र में इजाफा करीब 10 फीसदी का किया गया था। सरकार ने ग्रामीण इलाकों में फिक्स चार्ज 400 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया था। इससे पहले 2017 में सरकार बनने के बाद निकाय चुनाव समाप्त होते ही बिजली की दरों में औसतन 12.73 फीसदी का इजाफा किया गया था। 

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