क्या है बच्चों में बढ़ रहे है मोटापा का कारण?

कहीं दिनचर्या की आदतें तो नहीं कारण

मोटापा बच्चों में सबसे अधिक प्रचलित पोषण संबंधी विकार है और भारत में लगभग 1.44 करोड़ बच्चे इससे प्रभावित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में चीन के बाद सबसे ज्यादा मोटे बच्चे हैं, और भारत के 74 प्रतिशत किशोर निष्क्रिय हैं।

बचपन का मोटापा भारत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक लोक स्वास्थ्य प्राथमिकता है।  किसी व्यक्ति को मोटे लोगों की श्रेणि में तब माना जाता है यदि उसका वजन, उसकी ऊंचाई और उम्र के लिए आदर्श वजन से 20 प्रतिशत अधिक है। इसका मूल कारण कैलोरी सेवन और ऊर्जा खर्च के बीच का असंतुलन है। आज के समय में बच्चों में मोटापा सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है।

साइंस एडवांसेज़ में प्रकाशित ताज़ा रिसर्च में अमेज़ॉन क्षेत्र के बच्चों के खान-पान और जीवन शैली पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि बच्चे जितनी कैलोरी ले रहे हैं उसकी तुलना में खर्च नहीं कर पा रहे इसलिए उत्तर अमेरिका और ब्रिटेन सहित दक्षिण अमेरिकी देशों के बच्चे भी मोटापे का  शिकार हैं।  छोटे-छोटे बच्चे और खासकर टीनएजर इसकी चपेट में आ रहे हैं।

कुछ टीनएजर्स हार्मोनल परेशानियों के कारण मोटे हो जाते हैं। हालांकि इसके मामले कम होते हैं। मोटापा अगर किशोरावस्था के समय होता है तो वयस्क होने पर भी समस्या बनी रहती है। यह तब होता है जब टीनएज के समय की आदतों को जारी रखें और वजन कम करने पर ध्यान न दें। मोटापा बीमारियों का घर है। मोटापे से डायबिटीज, दिल की बीमारी और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी बीमारी हो सकती है।

साथ ही टीनऐज में मोटापे के कारण बच्चे अवसाद में भी आ सकते हैं। अगर मोटापे ने घेर लिया है तो सबसे पहले माता-पिता को बच्चों को यह समझाना होगा कि इस तथ्य को स्वीकारें कि वे मोटे हैं। किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें और बच्चे का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) जानें। यह भी जानें कि उम्र और ऊंचाई के हिसाब से वजन कितना होना चाहिए। यदि किसी खास मेडिकल कंडिशन से जूझ रहे हैं तो डॉक्टर को बताएं और उससे पूछें कि अपने सही वजन तक पहुंचने के लिए क्या करना चाहिए।

अगर किसी तरह की गलत मेडिकल कंडीशन नहीं है और लाइफस्टाल के कारण मोटापा बढ़ रहा है तो सबसे पहले खाने-पीने पर ध्यान दें। बच्चों को प्रेरित करें कि वे हेल्दी डाइट लें और फास्ट फूड खाने से बचें। उन्हें जब भी भूख लगे तो सब्जियां, फल और मेवे खाने की आदत डालें, न कि बर्गर, पिज्जा या फ्रेंच फ्राइज।

उन्हें पसंद हो वो फिजिकल एक्टिविटी करवाए जैसे जुम्बा या बेली डांस। रस्सी कूद, योग भी फायदेमंद होता है। बच्चों को प्रोत्साहित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि परिवार के साथ एक्सरसाइज करवाएं जिससे उन्हें यह काम फन भी लगेगा।

यह उम्र शरीर में बड़े बदलाव की ओर ले जाती है। इसलिए, अगर सही सावधानी नहीं बरती जाए, तो किशोरावस्था मोटापे से जुड़ी बीमारियों को जन्म दे सकती है। कई बार घर का वातावरण भी बच्चे में मोटापा बढ़ाने में सहायक होता है। बच्चा पौष्टिक आहार कम खाता है, फल वगैरह नहीं खाता और माता-पिता भी बच्चे की जिद के आगे झुक जाते हैं। नतीजा यही होता है कि बच्चे की मांग के अनुरूप उसे खाने के लिए ऐसी वसायुक्त चीजें देने लगते हैं जो बच्चों के लिए नुकसानदायक होता है।

यह भी ध्यान रखें कि किशोरावस्था में वजन घटाने के लिए सबसे जरूरी चीज है सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का भोजन तीनों को समय पर नियमित रूप से लें। दिन में एक या दो बार स्नैक्स जरूर लें। अगर यह सोचते हैं कि ब्रेकफस्ट छोड़कर वजन में कमी लाई जा सकती है तो यह गलत है। बच्चों को डिनर जल्दी करने की आदत डालें और हल्का भोजन लिया जाना चाहिए।

शोध के मुताबिक वक्त पर सोने वाले टीनएजर जैसे जैसे बड़े होते हैं, उन पर मोटापा हावी नहीं होता। उनकी बॉडी शेप में बनी रहती है। इसलिए माता-पिता को इस बात का ख्याल रखना जरूरी है कि उनका बच्चा रात भर जागता तो नहीं है।

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