पांच करोड़ रुपये से बुंदेलखंड में बनेगा जैन सर्किट
दरअसल, जैन धर्म में बुंदेलखंड क्षेत्र में बने तीर्थों के दर्शन का विशेष महत्व है। पूरे साल यहां जैन धर्मावलंबी बड़ी संख्या में आते हैं। मध्यप्रदेश के सोनागिर तीर्थ से शुरू होने वाली बुंदेलखंड यात्रा में जैन लोग छतरपुर के पपौरा जी तक यात्रा करते हैं। इस यात्रा में प्रदेश के झांसी और ललितपुर में बने जैन तीर्थों पर भी श्रावक-श्राविकाओं की भीड़ उमड़ती है। इसे लेकर सरकार जैन सर्किट विकसित करने जा रही है। जैन सर्किट में शामिल सभी मंदिरों का पर्यटन विभाग अपने साधनों से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पर प्रचार प्रसार करेगा। जैन सर्किट में लगभग पांच करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, इसमें संपर्क मार्ग ठीक होंगे। बैंच, पेयजल, सुलभ साधन, पार्कि ंग आदि की व्यवस्थाएं की जाएगी। जैन सर्किट के लिए पर्यटन विभाग सर्वे करा रहा है। इस संबंध में जैन समाज क ी कमेटियों व सदस्यों से भी जानकारी जुटाई जा रही है। उप निदेशक आरके रावत ने बताया कि जैन सर्किट में शामिल मंदिरों का इतिहास पर्यटन विभाग अपनी वेबसाइट, पर्यटन बुकलेट व साइजिन बोर्ड के जरिये हिंदी व अंग्रेजी भाषा में प्रचारित करेगा।
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इन तीर्थों और मंदिरों का होगा विकास
बुंदेलखंड में जैन धर्म के कई प्राचीन मंदिर हैं। झांसी में करगुवां जी, ललितपुर में देवगढ़ में 31 मंदिर हैं। जो वास्तुकला के लिए प्रसिद्घ हैं। इसके साथ ही ललितपुर में पवाजी, चांदपुर, चंदेरी, खंदारगिरी, सीरोनजी, बड़ागांव, जहाजपुर, चांदपुर में कई भव्य मंदिर हैं। इन मंदिरों में सरकार पर्यटन विकास के लिए काम करेगी।
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इसलिए है बुंदेलखंड तीर्थों की मान्यता
जैन धर्म में बुंदेलखंड के जैन तीर्थों की मान्यता का विशेष कारण है। पंडित विकास जैन शास्त्री बताते हैं कि बुंदेलखंड में जैन धर्म का विशेष प्रभाव रहा है। बताया जाता है कि करगुवांजी से लेकर बंधाजी तक पार्श्वनाथ भगवान की एक जैसी सात प्रतिमाएं हैं। प्रमुख जैन तीर्थों में द्रोणगिरि, अहारजी, पपौराजी, गोलाकोट, पचराई, सोनागिर, थूबोनजी भी शामिल हैं।