मौनी अमावस्या पर लगाई लाखों ने डुबकी, पितरों और देवताओं के संगम से मिलता है अक्षय फल
माघ माह की अमावस्या को देशभर में मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। यह इस साल 24 जनवरी को पड़ रही है। मान्यता है कि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष पुण्यलाभ मिलता है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को दिन भर मौन धारण कर मुनियों जैसा आचरण करना चाहिए। दिन भर मौन रहने और मुनियों की तरह ही आचरण करने के कारण इस अमावस्या का नाम पड़ा है। माना जाता है कि इस दिन सूर्यनारायण को अर्ध्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी के कानपुर चैप्टर के वाइस चेयरमैन पंडित शील गुप्ता बताया कि पुराणों में कहा गया है कि मौनी अमावस्या के दिन पितृलोक से पितृ संगम में स्नान स्नान करने आते हैं। कहा जाता है कि इस तरह देवताओं और पितरों का संगम होता है। यही वजह है कि इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन व्यक्ति को कई गुना और अक्षय फल देता है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर है उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े, जूते दान करने का विशेष महत्व है। जिन लोगों की कुंडली में शनि भारी है उनके लिए इन चीजों का दान करना और भी जरूरी हो जाता है।
शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि माघ मास में पूजा अर्चना करने व गंगा नदी में स्नान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। ज्योतिषविद शील गुप्ता ने बताया कि जो लोग किसी भी पवित्र नदी पर स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं, वे घर पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर सभी तीर्थों का आव्हान करें और फिर स्नान करके अनुष्ठान करें। हिंदू धर्म ग्रंथों में माघ माह का विशेष महत्व माना गया है। मौनी अमावस्या 24 जनवरी को सुबह 2.17 मिनट से प्रारंभ होकर 25 जनवरी की सुबह 3.11 मिनट तक रहेगी।
इसी दिन शनिदेव भी धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस परिवर्तन से कुंभ राशि पर साढ़े साती का प्रथम चरण, मकर राशि में साढ़े साती का दूसरा चरण और धनु राशि पर साढ़े साती का तृतीय चरण प्रारंभ हो जाएगा। मिथुन एवं तुला राशि पर शनि पर ढैया चलेगा। कुंभ राशि के लोगों को शुरुआती तीन महीनों के लिए कोई भी फैसला लेने से पहले बहुत सोच-विचार करना चाहिए। इस दौरान लिया गया कोई भी गलत फैसला लंबे समय के लिए नुकसान पहुंचाएगा। शनिदेव अपनी राशि मकर में आने से काफी शक्तिशाली हो जाएंगे। शनिदेव के मकर राशि में होने से न्याय व्यवस्था मजबूत होगी।