व्यापारिक संगठनों ने नगर निगम में जोरदार प्रदर्शन किया

नगर निगम ने शहर के व्यापारियों को सात दिन तक लाइसेंस और पंजीकरण शुल्क पर असमंजता में डालने के बाद सोमवार को हुए प्रदर्शन के बाद इसे स्थगित करने का फैसला ले लिया है। नगर निगम में लाइसेंस शुल्क के विरोध को उमड़े व्यापारियों के हुजुम का रुख भांपने के बाद मेयर सुनील उनियाल गामा ने लाइसेंस शुल्क के प्रस्ताव को स्थगित कर दिया। इसकी वजह बताई गई है कि लाइसेंस शुल्क की प्रस्तावित दरें अधिक हो गई थी। इस पर पुनर्विचार किया जाएगा।


दून वैली व्यापार उद्योग मंडल के बैनर तले दर्जनों व्यापारिक संगठनों के सदस्य, पदाधिकारी सुबह 11 बजे से नगर निगम में मेयर को ज्ञापन देने के इरादे से भारी संख्या में एकत्र होना शुरू हो गए थे। व्यापारी अपने साथ काले रंग के बैनरों में लिखे स्लोगन, काला कानून वापस लो, लाइसेंस शुल्क वापस लो.., लिखकर लाए थे। ये बैनर पूरे निगम परिसर में लहराए जा रहे थे। अध्यक्ष विपिन नागलिया, महामंत्री सुनील मैसोन, सिद्धार्थ अग्रवाल आदि व्यापारी नेताओं के नेतृत्व में व्यापारी जोरदार नारेबाजी कर रहे थे।

महामंत्री सुनील मैसोन ने व्यापारियों को आश्वस्त किया वह सिर्फ मेयर को ज्ञापन देने आये हैं। लिहाजा व्यापारी धैर्य दिखाएं। विपिन नागलिया ने कहा कि, सरकार भी मानती है कि अर्थिक मंदी चल रही है, व्यापार कई कारणों से मन्दा चल रहा हैं, अभी स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट शुरू होने है, ट्रैफिक डायवर्ट होने से व्यापारी वर्ग बुरी तरह प्रभावित है। दूसरी भी तमाम तरह की अन्य दिक्कतें हैं, उस पर निगम द्वारा लाइसेंस फीस थोपना व्यापारियों का उत्पीड़न है।

सिद्धार्थ अग्रवाल, पीयूष मौर्य ने कहा कि व्यापारियों ने हर तरह के लाइसेंस ले रखे है, समय पर टैक्स जमा करते हैं तो यह नये तरह का लाइसेंस क्यूं। दून उद्योग व्यापार मंडल संरक्षक अनिल गोयल ने भी लाइसेंस शुल्क का विरोध किया। आनन्द स्वरूप ने किसी भी कीमत पर लाइसेंस शुल्क का प्रस्ताव वापस लिए बगैर व्यापारी वापस नहीं जाएंगे। तीव्र विरोध प्रदर्शन के बीच मेयर व्यापारियों के बीच पहुंचे और उनसे ज्ञापन लिया। मेयर ने पहले तो काले झंडे लेकर आए व्यापारियों से नाराजगी जताई फिर कहा कि लाइसेंस शुल्क व्यापारियों की रजामंदी से ही तय किया जाएगा। इसके बाद मेयर व्यापारी नेताओं के साथ अपने कक्ष में बैठ गए। यहां पर लाइसेंस शुल्क को लेकर एक बार फिर व्यापारी नेताओं से उनकी चर्चा प्रारंभ हुई।

मेयर ने लगाए व्यापारी एकता के नारे
व्यापारियों के बीच पहुंचे मेयर ने खुद भी व्यापारी एकता जिंदाबाद के नारे लगाए। भीड़ के मौजूद कुछ व्यापारी उत्साहित होकर बोले कि मेयर साब तो अपने ही बीच के हैं(उनका कहने का आशय था कि वे भी व्यापारी रहे हैं)। मेयर ने फिर कहा कि वह उन के साथ हैं। व्यापारियों को यदि परेशानी थी तो उन्हें बुला लेते। प्रदर्शन करने की क्या जरूरत थी। वो जनता के सेवक हैं और उनकी समस्या को दूर करना उनका दायित्व है। लाइसेंस शुल्क तब तक लागू नहीं होगा। जब कि इसमें सभी व्यापारियों की सहमति न हो। 

व्यापारियों ने बांटी मिठाई
लाइसेंस शुल्क लागू न करने के फैसले से उत्साहित व्यापारियों ने मेयर जिंदाबाद के नारे लगाए। मिठाई बांटकर खुशी जताई। निगम परिसर में काफी देर तक व्यापारी खुशी मनाते रहे।

निगम के कामकाज में झलकी होमवर्क की कमी
लाइसेंस शुल्क प्रस्तावित करने के मसले पर निगम के काम काज में होमवर्क की कमी साफ तौर पर झलक रही है। व्यापारियों की तरफ से तो चौतरफा विरोध का पहले से अंदेशा था, मगर कई भाजपा पार्षद भी इस फैसले से संतुष्ट नहीं बताए जा रहे थे। लाइसेंस शुल्क लागू करने का जो प्रस्ताव 2015 में मेयर विनोद चमोली के कार्यकाल में लाया गया था नया प्रारूप उसी प्रस्ताव की कार्बन कापी था। सिर्फ पांच साल के अंतराल में इसमें प्रस्तावित लाइसेंस शुल्क के दरों में कई गुना अंतर था। इस प्रस्ताव को न तो निगम की बोर्ड या कार्यकारिणी बैठक में रखा गया न ही पार्षदों को इसमें विश्वास में लिया गया।  

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