कोरोना संकट से उबरने और अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करने को योगी सरकार निरंतर कार्यरत

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उम्मीद है कि प्रदेश जल्द ही कोरोना संकट से उबर जाएगा। वह मानते हैं कि कोरोना के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है और पहले से चल रही योजनाएं प्रभावित हुई हैं लेकिन उन्हें भरोसा है कि अगले तीन-चार माह में स्थिति सामान्य हो जाएगी और एक साल में प्रदेश की अर्थव्यवस्था पहले की तरह पटरी पर आ जाएगी।

सीएम योगी के अनुसार यूपी कोरोना की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अभी प्रदेश में रोजाना 10 हजार टेस्ट हो रहे हैं। 15 जून तक यह क्षमता 15 हजार प्रतिदिन हो जाएगी। योगी ने कहा कि अगर मार्च में लॉकडाउन न होता तो भारत जैसे 135 करोड़ की आबादी वाले देश में आज स्थिति भयावह होती।

प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा की गारंटी मुहैया कराने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि यूपी की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में इनकी ऊर्जा व प्रतिभा का इस्तेमाल किया जाएगा। कोरोना से निपटने के लिए हमारी तैयारी पूरी है। इस समय हमारे पास एक लाख एक हजार बेड हैं। भगवान करे ऐसी स्थिति न आए, लेकिन अगर संक्रमण फैलता है तो हमारे पास 15 लाख लोगों को क्वारंटीन सेंटर में रखने की व्यवस्था है।

आज एक दिन में 10 हजार लोगों की जांच कर सकते हैं। 15 जून तक यह क्षमता बढ़कर 15 हजार तक पहुंचा देंगे। नॉन कोविड हास्पिटल में भी बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने पर फोकस है। जिनको कोरोना नहीं, अन्य बीमारियां हैं उनके लिए भी इमरजेंसी सेवाएं चलें इसके लिए खास ध्यान दिया जा रहा है।

विशेषज्ञ कहते थे कि मई अंत तक यूपी में 65 से 70 हजार केस होंगे। हम लोगों ने उसे 8 हजार तक सीमित कर दिया। इनमें से 5000 से ज्यादा ठीक होकर घर जा चुके हैं।

लॉकडाउन का मकसद लोगों को जागरूक करना था। इसी का नतीजा है आज हम लोग संक्रमण की स्टेज को हर स्तर पर रोकते गए, तोड़ते गए।

अब हर व्यक्ति घर से बाहर निकलने पर मास्क लगा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा है। सरकार की कोशिश है कि लोग स्वयं इसका कड़ाई से पालन करें। सावधानी ही कोरोना जैसे संक्रमण से उन्हें बचा पाएगी।

मैं मूल रूप से आध्यात्मिक व्यक्ति हूं। जीवन में संतुलन ही अध्यात्म है। संतुलन बनाए रखना ही जीवन की कला होती है। इसी को जीना कहते हैं। व्यक्ति जब अपने जीवन में संतुलन ला देता है तो सफलता का रास्ता अपने आप खुल जाता है। सकारात्मक और नकारात्मक चीजें चलती रहती हैं। इनमें संतुलन ही कामयाबी की ओर ले जाता है

प्रधानमंत्री ने जिस समय लॉकडाउन की घोषणा की थी, वह सबसे उपयुक्त समय था। अगर लॉकडाउन मार्च में नहीं होता तो भारत की स्थिति बहुत खराब होती। यह सही समय पर उठाया गया सही कदम था। लॉकडाउन का फायदा यह हुआ कि 135 करोड़ की आबादी वाले भारत में संक्रमण के केस दो लाख हैं। मौत के आंकड़े 6000 के अंदर हैं।

अमेरिका की आबादी के हिसाब से देखें तो दोनों देशों में कोरोना संक्रमण एक साथ आया था। अमेरिका का हेल्थ सिस्टम हमसे ज्यादा मजबूत है। इसके बावजूद अमेरिका में संक्रमण 18 लाख और मौत का आंकड़ा एक लाख पार कर चुका है। कम आबादी के बावजूद वहां संक्रमण ज्यादा फैल गया। भारत ने समय पर निर्णय लेकर और कोरोना के संक्रमण को रोकने के साथ ही लोगों की जान बचाने का काम किया।

हमारे यहां अनुकूल परिस्थितियां हैं। देश का सबसे बड़ा बाजार है। हम इसका फायदा उठाएंगे। निवेशकों को हर तरह की सुविधाएं व सहूलियतें देंगे। यूपी इसके लिए पूरी तरह तैयार है।

जहां तक अर्थव्यवस्था का सवाल है तो आर्थिक समृद्धि जनता की खुशहाली के लिए होती है। पहले जनता की जान बचाना आवश्यक था। उसमें काफी हद तक सफलता मिली। अब चार चरणों के लॉकडाउन के बाद अनलॉक की घोषणा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की ही दिशा में एक बड़ा कदम है। लगभग सभी चीजें अपने रूटीन पर आ चुकी हैं।

मुझे लगता है कि एक-दो महीने में सारी अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। हमारी अपनी कार्ययोजनाएं थीं, लेकिन हमें कोरोना में उलझना पड़ा। सारे संसाधन और सारी शक्ति लगानी पड़ी। जैसे ही हम इससे उबरेंगे, सभी कार्य पुरानी स्थिति में आ जाएंगे। तीन-चार महीने का गैप तो आ ही जाएगा। इसकी भरपाई करने में एक साल लग जाएगा। अगर इस दौरान हम कोरोना पर काबू कर लेंगे तो एक साल के अंदर पुरानी वाली स्थिति प्राप्त कर लेंगे।

 

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