बर्ड फ्लू के भी कई रूप
एवियन इंफ्लुएंजा यानी बर्ड फ्लू एक गंभीर संक्रामक बीमारी हैए जो अमूमन पक्षियों से पक्षियों में फैलती है। हालांकिए कई बार इनसान और जानवर भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। कोविड.19 की तरह ही बर्ड फ्लू के भी कई रूप हैं। ष्एच5एन1ष् और ष्एच7एन9ष् इंफ्लुएंजा वायरस जहां मरीज को मौत की कगार पर ले जा सकते हैंए वहीं ष्एच7एन7ष् व ष्एच9एन2ष् ज्यादा गंभीर संक्रमण का सबब नहीं बनते।
कौन ज्यादा घातक
.एच5एन1 : 1997 में पहली दस्तकए हांगकांग में 18 लोगों को किया संक्रमितए इनमें से छह की जान चली गई
.एच7एन9 : 2013 में चीन में पहला केस सामना आयाए कुल 144 चीनियों को चपेट में लियाए 46 की मौत हुई
डराते आंकड़े
.60 फीसदी से अधिक पुष्ट मामलों में मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ी है
.15 भारतीय राज्यों में 2006 से लेकर अब तक 26 बार दिख चुका है प्रकोप
चिंता का सबब
.विश्व स्वास्थ्य संगठन ;डब्ल्यूएचओद्ध के मुताबिक फ्लू वायरस खंडित जीनोम की वजह से ष्म्यूटेशनष् यानी उत्परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होता है। ष्म्यूटेशनष् के जरिये मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने की इसकी क्षमता बढ़ जाती हैए जिससे यह महामारी का रूप अख्तियार कर सकता है।
हल्के में न लें
.पक्षियों में एवियन इंफ्लुएंजा आमतौर पर आंत में संक्रमण का सबब बनता हैए लेकिन इनसानों में यह सीधे श्वास प्रणाली पर हमला करता है
.मरीज को निमोनिया और एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम की शिकायत संभवए खांसी.बुखारए गले में खराशए पेटदर्दए उल्टी.दस्त शुरुआती लक्षण
मनुष्य से मनुष्य में प्रसार बेहद कम
.बर्ड फ्लू के मनुष्य से मनुष्य में प्रसार के मामले बेहद कम सामने आए हैं। माना जाता है कि आखिरी बार साल 2006 में सुमात्रा ;इंडोनेशियाद्ध के एक परिवार के सदस्य एक.दूसरे के संपर्क में रहने के कारण एवियन इंफ्लुएंजा से संक्रमित हो गए थे।
पर सावधानी बरतना जरूरी
.बर्ड फ्लू से बचाव के लिए मास्क पहनेंए समय.समय पर साबुन से हाथ धोते रहें
.अंडेए चिकन या किसी भी अन्य पोल्ट्री उत्पाद को अच्छे से धो.पकाकर ही खाएं
.जिन लोगों का घर.दफ्तर पोल्ट्री फार्मध्चिड़ियाघर के पास हैए वे सफाई पर खास ध्यान दें
.पोल्ट्री उद्योग में काम करने वाले लोगों के लिए पीपीई किट पहनना फायदेमंद रहेगा
ऐसे फैलता है वारयस
.मल.मूत्रए लार और छींक में निकलने वाली संक्रमित बूंदों के जरिये पक्षियों से पक्षियों में फैलता है वायरस। इनसानों में मुख्य रूप से संक्रमित मांस या पानी के सेवन से होता है प्रसार। संक्रमित पक्षीए फिर चाहे वो जीवित हो या मृतए के पास जाना भी घातक।
पोल्ट्री उत्पादों से दूरी जरूरी नहीं
.एवियन इंफ्लुएंजा वायरस ऊष्मा के प्रति बेहद संवेदनशील है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो पोल्ट्री उत्पादों को अच्छे से धोकर 70 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर पूरी तरह से पकाकर खाया जाए तो बर्ड फ्लू का शिकार होने का खतरा न के बराबर रहता है।