मुनीर के गले की फांस बनी अमेरिका की दोस्ती, गाजा में सेना भेजने का प्रेशर

पाकिस्तान इस समय अमेरिका से दोस्ती मजूबत करने की कोशिश में लगा हुआ है। इस बीच अमेरिका पाकिस्तान पर गाजा में शांति सेना भेजने का दबाव बना रहा है। जिसको लेकर असीम मुनीर मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं।

दरअसल, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गाजा शांति समझौते को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिससे पाकिस्तान में सत्ता हिल रही है। उन्होंने पाकिस्तान की गाजा स्टेबिलाइजेशन फोर्स में शामिल होने की पेशकश या विचार करने के लिए आभार जताया। मार्को रुबियो ने कहा कि ‘हम पाकिस्तान के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने इसका हिस्सा बनने का प्रस्ताव दिया है या कम से कम इसका हिस्सा बनने पर विचार करने को कहा है।

बता दें कि मार्को रुबियो ट्रंप के गाजा पीस प्लान के तहत पाकिस्तानी सेना को गाजा भेजने की बात कर रहे थे। लेकिन पाकिस्तानी सेना इस मुद्दे पर बंटी हुई दिखाई दे रही है। फील्ड मार्शल असीम मुनीर के खिलाफ पाकिस्तान के लोग सड़कों पर उतर आए। राजनीतिक दलों और खासकर मुनीर को इतना ताकतवर बनाने वाली सरकार भी इससे सहमत नहीं है। ऐसे में असीम मुनीर मुश्किल में घिरते नजर आ रहे हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बयान के बाद पाकिस्तान में ऐसी खबरें फैलने लगीं कि फील्ड मार्शल असीम मुनीर निकट भविष्य में वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने वाले हैं। इसके बाद से पाकिस्तान की जनता, मीडिया, सेना, सरकार और अन्य राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं।

हमारा काम नहीं…

बढ़ता विवाद देख शनिवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान को सैन्यकर्मी भेजने के लिए नहीं कहा गया है और न ही देश ने अभी तक कोई निर्णय लिया है। इससे पहले, विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा था कि जब तक आईएसएफ के कार्यक्षेत्र स्पष्ट नहीं हो जाते, पाकिस्तान कोई निर्णय नहीं ले सकता और साथ ही यह भी कहा था कि हमास को निरस्त्र करना हमारा काम नहीं है।

मुस्लिम देश को फिलिस्तीनी समूहों से नहीं लड़ना चाहिए

पाकिस्तानियों की मानें तो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की योजना मुस्लिम देशों को हमास और अन्य प्रतिरोधक समूहों के साथ टकराव के रास्ते पर धकेलने का है। पाकिस्तानी अखबार द डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा है, अमेरिका वह करने की कोशिश कर रहा है, जो इजरायल करने में विफल रहा। हमारा मानना है कि किसी भी मुस्लिम देश को फिलिस्तीनी समूहों से नहीं लड़ना चाहिए। शायद गाजा योजना के इसी अप्रिय पहलू के कारण कई देशों ने सेना भेजने से इनकार कर दिया है।

संपादकीय में लिखा है कि इजरायल पर भरोसा नहीं किया जा सकता, और उसने पहले ही संकेत दे दिया है कि वह कब्जे वाले गाजा के महत्वपूर्ण हिस्सों में बने रहने का इरादा रखता है। इसलिए मुस्लिम और अरब देशों को कब्जे को जारी रखने की अमेरिकी-इजरायली योजना में भागीदार नहीं बनना चाहिए।

मुश्किल में फंसे मुनीर

एक तरफ जहां अमेरिका पाकिस्तान के असीम मुनीर पर गाजा में अपनी सेना भेजने का दबाव बना रहा है, वहीं दूसरी हो यह फैसला असीम मुनीर को मुश्किलों में घेर रह है।

गौरतलब है कि असीम मुनीर ने पाकिस्तान में सत्ता पर खुद को मजबूत करने के लिए उन्होंने अमेरिका से ज्यादा ही नजदीकी बढ़ा ली है। इससे चीन भी नाराज चल रहा है, लेकिन अब वो अगर पाकिस्तानी सेना को गाजा नहीं भेजते हैं तो ट्रंप भी नाराज हो जाएंगे। ऐसे में एक तरफ जहां अमेरिका पाकिस्तान के असीम मुनीर पर गाजा में अपनी सेना भेजने का दबाव बना रहा है, वहीं दूसरी हो यह फैसला असीम मुनीर को मुश्किलों में घेर रहा है। अगर मुनीर अमेरिका की बातों में आते हैं तो जनता के आक्रोश के साथ पाकिस्तानी सेना में भी विद्रोह की संभावना है।

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