यस बैंक बाद अब सरकार कुछ और बैंकों पर रख रही है नजर

येस बैंक (Yes Bank Crisis) के संकट के बीच सरकार कुछ और बैंकों पर निगरानी कर रही है. इन बैंकों की लोन हिस्ट्री और ट्रांजैक्शन पर निगरानी रखी जा रही है. CNN NEWS18 को सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि सरकार कई दूसरे बैंकों की लोन हिस्ट्री, बैड लोन और ट्रांजैक्शन पर नजर रख रही है. हालांकि सूत्रों ने साथ ही भरोसा दिलाया कि लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. उनके हित सुरक्षित रखे जाएंगे. सूत्र ने उन बैंकों के नाम जाहिर नहीं किए जिन पर निगरानी रखी जा रही है. सूत्र ने कहा है कि किसी और संकट से बचने के लिए सरकार इन बैंकों की निगरानी कर रही है.

इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को येस बैंक लिमिटेड के पुनर्गठन की योजना के मसौदे को पब्लिक डोमेन में प्रकाशित किया. रिजर्व बैंक योजना के मसौदे पर बैंकों के शेयरधारकों, जमाकर्ताओं और लेनदारों सहित जनता के सदस्यों से सुझाव और टिप्पणियां मांगी है.

वहीं शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से यह पता लगाने के लिए कहा है कि येस बैंक में क्या गलत हुआ और इसमें व्यक्तिगत स्तर पर जवाबदेही तय की जानी चाहिये. रिजर्व बैंक द्वारा येस बैंक के बोर्ड को भंग करने और जमा खाताधारकों की निकासी सीमा तय करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक की 2017 से निगरानी की जा रही थी और इससे संबंधित गतिविधियों की हर दिन निगरानी की गई.

रिजर्व बैंक ने येस बैंक प्रबंधन में बदलाव का सुझाव दिया
वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2017 से बैंक में प्रशासन संबंधी मसले, कमजोर अनुपालन, गलत परिसंपत्ति वर्गीकरण जैसी स्थिति को पाया. उन्होंने कहा कि कर्ज के जोखिम भरे फैसलों का पता चलने के बाद रिजर्व बैंक ने येस बैंक प्रबंधन में बदलाव का सुझाव दिया.

सीतारमण ने कहा कि ये फैसले बैंक के हित में किए गए और सितंबर 2018 में एक नए सीईओ की नियुक्ति हुई. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों को भी येस बैंक में अनियमितताओं का पता चला. सीतारमण ने कहा कि सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक तात्कालिकता की भावना के साथ यथोचित कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करे. उन्होंने कहा कि पुनर्गठन योजना 30 दिनों में पूरी तरह प्रभावी हो जाएगी और एसबीआई ने येस बैंक में निवेश करने की इच्छा जताई है.

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि येस बैंक के कर्मचारियों की नौकरी, वेतन एक साल तक सुरक्षित रहने का आश्वासन दिया गया है. उन्होंने कहा कि अनिल अंबानी समूह, एस्सेल, डीएचएफएल, आईएलएफएस, वोडाफोन उन संकटग्रस्त कंपनियों में शामिल हैं, जिन्हें येस बैंक ने कर्ज दिया था.

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