राज्यपाल की अध्यक्षता में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर का 27वाँ दीक्षांत समारोह सम्पन्न
- प्रत्येक विश्वविद्यालय में भी तालाब होना चाहिए
- प्रयास करने से बदलाव आयेगा
- पढ़ने के साथ-साथ समाज के लिए भी कार्य करें
- एक विद्यार्थी जब एक बच्चे का हाथ पकड़ता है तो बदलाव आता है
- सभी विश्वविद्यालय अपने सत्र को सही समय से सुनिश्चित करें -राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल
प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर का 27वाँ दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। राज्यपाल जी ने कलश में जलधारा अर्पण करके जल संरक्षण के संदेश के साथ दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ किया। समारोह में राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय के 80 मेधावियों को प्रथम प्रयास में अपने विषय में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर 81 स्वर्ण पदक प्रदान किए। स्नातक स्तर पर 23 एवं परास्नातक स्तर पर 58 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक मिला एवं 222 शोधार्थियों को पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की गई। इसमें कला संकाय में 144, विज्ञान संकाय में 22, कृषि संकाय में 05, शिक्षा संकाय में 34, विधि संकाय में 04, इंजीनियरिंग संकाय में 01, वाणिज्य संकाय में 09, अनुप्रयुक्त समाज विज्ञान एवं मानविकी संकाय में 01 एवं प्रबन्ध संकाय में 02 शोधार्थियों को उपाधि मिली।
समारोह के दौरान राज्यपाल जी ने आईपैड का बटन दबाकर 2022-23 की स्नातक और स्नातकोत्तर की एक लाख 62 हजार 687 डिग्रियों को डिजीलॉकर में अपलोड करने का शुभारंभ किया। विद्यार्थियों को इससे डिजिटल डिग्री आसानी से मिल जाएगी। विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के एम.ए. जनसंचार विषय में सर्वोच्च अंक पाने वाले विद्यार्थी राम नरेश को ‘अतुल माहेश्वरी स्वर्ण पदक‘ दिया गया।
इस अवसर पर में राज्यपाल जी ने सभी उपाधि प्राप्त कर्ताओं, स्वर्ण पदक तथा शोध उपाधि पाये विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए सभी को दीक्षांत समारोह की शुभकामनाएं दी। उन्होंने समारोह के मुख्य अतिथि द्वारा जल और पर्यावरण संरक्षण को जीवन में प्राथमिकता पर लेने को विशेष महत्व दिया। उन्होंने सरकार द्वारा प्रत्येक जनपद में अमृत तालाब और अमृत सरोवर बनाने की योजना की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक विश्वविद्यालय में भी तालाब होना चाहिए
हर विश्वविद्यालय के पास 200 से 250 एकड़ जमीन है। संकल्प लेकर ये कार्य करना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने एक प्राइमरी विद्यालय का उदाहरण दिया, जिसने ये संकल्प लिया कि इतने वृक्ष लगाए जाएं, जिससे पूरा विद्यालय हरे-भरे पेड़ों से ढक जाए। जब बच्चों ने पेड़ों को सींचने के लिए पानी व्यवस्था का प्रश्न किया तब विद्यालय की शिक्षिका ने उन बच्चों से उनके घरों में रसोई कार्यों में उपयोग किया गया पानी बोतल में लाकर पोड़ों में डालने को कहा। इससे पानी का प्रबन्ध हो गया। राज्यपाल जी ने इसी उदाहरण को संकल्प शक्ति के साथ विश्वविद्यालयों को हरा-भरा बनाने, प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा वृक्षारोपण करने और रोपित वृक्ष की देखभाल करने को कहा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के जितने विद्यार्थी हैं उतने पेड़ लगाएं और इस सीमेंट के जंगल को हरे-भरे जंगल में बदलें। प्रयास करना चाहिए, प्रयास करने से बदलाव आयेगा। राज्यपाल जी ने विद्यार्थियों से कहा कि हमारा दायित्व है कि पढ़ने के साथ-साथ समाज के लिए भी कार्य करें। पेड़ इतने बड़े होने चाहिए जैसे गुरूकुलों में होते थे।
इसी क्रम में राज्यपाल जी ने बाराबंकी के एक गाँव चैनपुरवा का जिक्र भी किया, जहाँ घर-घर में देशी शराब बनाने का ही कार्य होता था। वहाँ पर सामाजिक संस्था के द्वारा अभूतपूर्व कार्य करने, महिलाओं को आर्थिक आधार के लिए बेहतर गृह उद्योग के विकल्प दिए जाने से पूरे गाँव में आए बदलाव के बारे में भी बताया। उन्होंने लखनऊ में भिक्षावृत्ति से जुड़े बच्चों को शिक्षा से जोड़कर बदलाव लाने वाली सामाजिक संस्था ‘उम्मीद‘ के कार्यों के बारे में समारोह में बताया और कहा कि मैंने भी विश्वविद्यालयों से इसीलिए कहा है कि गांवों को गोद लें। एक विद्यार्थी जब एक बच्चे का हाथ पकड़ता है तो बदलाव आता है। इसकी संख्या बढ़नी चाहिए, बदलाव अवश्य आयेगा। उन्होंने हाल ही में प्रदेश सरकार के जनप्रतिनिधि द्वारा झोपड़पट्टी के बच्चों की समस्याओं को जानने, वहाँ के बच्चों और महिलाओं को सुविधाएं प्रदान करने हेतु स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने के कार्य की प्रशंसा भी की।
राज्यपाल जी ने सम्बोधन में महिला शक्ति पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने प्रदेश के 09 विश्वविद्यालयों में महिला कुलपति नियुक्त किए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों में शोध कार्यों को बढ़ावा देने, उनका पेटेंट करवाने और किए गए एम0ओ0यू0 में गतिविधियाँ करवाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हाल ही में भारत में हुए जी-20 सम्मेलन में भी प्रतिभागी देशों के साथ विभिन्न गतिविधियों में ज्ञान का आदान-प्रदान हुआ है।
राज्यपाल जी ने समारोह में जोर देकर कहा कि सभी विश्वविद्यालय अपने सत्र को सही समय से सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष जून-जुलाई में ही दीक्षान्त समारोह सम्पन्न किए जाएं, जिससे विद्यार्थी समय से अपनी आगामी शिक्षा अथवा कैरियर को प्रारम्भ कर सकें। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे आगे बढे़, देश सेवा करें और अपने आर्थिक उपार्जन को भी सुनिश्चित करें। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे अपने माता-पिता, शिक्षकों तथा विश्वविद्यालय को सदैव सम्मान दें और स्मरण रखें।
समारोह में कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांव के एवं अन्य जगह स्थापित दस आंगनबाड़ी केंद्रों को सुविधा सम्पन्न बनाने हेतु ट्राइसिकल, झूला, स्टोरी बुक, व्हाइट बोर्ड, कुर्सी समेत कुल 77 उपयोगी सामग्रियों की किट वितरित की।
राज्यपाल जी ने समारोह में विश्वविद्यालय की भारतीय सामाजिक परिप्रेक्ष्य में नारी और गतिमान वार्षिक पत्रिका का विमोचन भी किया। उनके समक्ष पीपल्स वर्ल्ड कमीशन ऑन ड्राउट एंड फ्लड, स्वीडन एवं तरुण भारत संघ, राजस्थान के चेयरमैन जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह और वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने महंत अवेद्यनाथ संगोष्ठी भवन में जल संरक्षण एवं सम्वर्धन हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर किया।
राज्यपाल जी ने कक्षा 5 से 8 में पढ़ने वाले प्राथमिक विद्यालय से आए हुए बच्चों को स्कूल बैग, फल, जमेटरी बाक्स, महापुरुषों पर प्रकाशित पुस्तकें आदि प्रदान की। इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए कुकड़ीपुर. देवकली, सुल्तानपुर एवं जासोपुर गांव में आयोजित खेल प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने वाले चार बच्चों को भी समारोह में पुरस्कृत कर उनका उत्साहवर्द्धन भी किया।
समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पीपुल्स वर्ल्ड कमीशन ऑन ड्राउट एण्ड फ्लड, स्वीडन एवं तरुण भारत संघ राजस्थान के चेयरमैन जल पुरुष, डॉ0 राजेन्द्र सिंह ने अपने सम्बोधन में प्राकृतिक तत्वों के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को महत्वपूर्ण बताते हुए इसे विद्या नीति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने जल संकट की गंभीरता पर विशेष चर्चा की और जल संरक्षण तथा पर्यावरण संरक्षण को आगामी जीवन के लिए प्राथमिकता से अपनाने पर बल दिया।
सामारोह को सम्बोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि एवं राज्य उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों से कहा कि डिग्री और उपाधि लेने के बाद विद्यार्थी समाज के लिए जिम्मेदारी लेकर जाएं। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि आजादी के अमृत काल में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के साथ देशहित में बेहतर योगदान दें। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने मुख्य अतिथि, माननीय राज्यपाल और अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को बिन्दुवार बताया।
इस अवसर पर समारोह में स्थानीय अतिथिगण, जनप्रतिनिधि, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, अधिकारी एवं शिक्षक गण तथा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।