सियाचिन में पाकिस्तानी सेना के मंसूबों को दफनाने वाले ऑपरेशन मेघदूत के हीरो लेफ्टिनेंट जनरल हून का निधन

दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में पाकिस्तान की सेना की कब्र खोदने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) प्रेम नाथ हून का सोमवार को निधन हो गया है। 90 वर्षीय हून ने पंचकूला के कमांड हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली, जहां पिछले दो दिनों से उनका इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने 6 जनवरी शाम साढ़े पांच बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर को होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल पी एन हून (सेवानिवृत) ने देश को मजबूत एवं सुरक्षित बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘लेफ्टिनेंट जनरल पी एन हून (सेवानिवृत) के निधन से काफी दुखी हूं। उन्होंने पूरे समर्पण के साथ भारत की सेवा की और हमारे देश को मजबूत एवं अधिक सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।’ उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार एवं मित्रों के साथ है।सेना के पश्चिमी कमान के पूर्व कमांडर होने के साथ ही उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों में 1962 में चीन के खिलाफ और 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में शामिल होना है।

1984 में लेफ्टिनेंट जनरल हून के नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सियाचिन पर कब्जे के मंसूबों को विफल करते हुए यहां तिरंगा फहराया था।  भारतीय सेना की इस मुहिम को ऑपरेशन मेघदूत का नाम दिया गया। लेफ्टिनेंट जनरल हून का जन्म पाकिस्तान के ऐबटाबाद में हुआ था लेकिन देश के बंटवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया। पीएन हूण 1987 में पश्चिमी कमान के प्रमुख के रूप में रिटायर हुए बाद में साल 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। राष्ट्रवाद को लेकर उनके विचार काफी प्रखर थे और वह आंतरिक सुरक्षा को लेकर हमेशा सख्त कदम उठाने की हिमायत करते थे।

ऑपरेशन मेघदूत के लिए याद किए जाएंगे
हूनसियाचीन में वर्ष 1984 में उनकी अगुवाई में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के जरिए भारतीय सेना ने जो किया, उसके लिए पी एन हून को हमेशा याद किया जाएगा। लगातार दो सीधी लड़ाइयों में भारत के हाथों मात खाने के बाद पाकिस्तान ने सियाचिन पर कब्जे की कोशिश में लग गया। 1983 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट दी कि पाकिस्तानी सेना सियाचिन पर कब्जे की तैयारी कर रही है। दरअसल, पाकिस्तानी सेना ने सियाचीन में सेना की तैनाती के लिए यूरोप से सर्दियों में पहने जाने वाले गर्म कपड़ों के भारी ऑर्डर दिए थे।

पाकिस्तान गुपचुप तरीके से सियाचिन में सैनिकों की तैनाती कर इसे अपने कब्जे में लेने का मंसूबा बना चुका था।इसके बाद भारतीय सेना ने भी तैयारी शुरू की और ऑपरेशन मेघदूत शुरू हुआ। ऑपरेशन का पहला चरण मार्च 1984 में ग्लेशियर के पूर्वी बेस के लिए पैदल मार्च के साथ शुरू हुआ। भारतीय जवानों को दो-दो दुश्मनों का सामना करना था जानलेवा मौसम और पाकिस्तानी सेना। कई जगहों पर तापमान माइनस 30 डिग्री से भी कम था। 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने सीधा हमला किया और पूरे सियाचिन पर कब्जा कर लिया। लेफ्टिनेंट जनरल हून के नेतृत्व में भारतीय सेना ने देश के लिए रणनीतिक तौर से बेहद महत्वपूर्ण सियाचिन चोटी पर तिरंगा फहराया।

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