सीसीटीवी से लैस हों प्रदेश के सभी थाने, तत्काल करें कार्यवाही: मुख्यमंत्री

  • मुख्यमंत्री जी ने की यूपी-112 व 1090 सेवा तथा पुलिस की तकनीकी सेवाओं के कार्यों की समीक्षा
  • आपातकालीन सेवाओं में क्विक रिस्पॉन्स जरूरी, और बेहतर करें 112 का रिस्पॉन्स टाइम: मुख्यमंत्री
  • सीसीटीवी से लैस हों प्रदेश के सभी थाने, तत्काल करें कार्यवाही: मुख्यमंत्री
  • वायरलेस की तरह प्रयोग होगा मोबाइल फोन, बाराबंकी से होगी शुरुआत
  • जून 2016 से आज तक 112 पर मिली सूचनाओं में से 84% का तत्काल घटनास्थल पर हुआ निराकरण
  • मुख्यमंत्री का निर्देश, आकस्मिक हेल्पलाइन सेवाओं का हो व्यापक प्रचार-प्रसार
  • आकस्मिक हेल्पलाइन नंबरों पर प्राप्त होने वाली हर सूचना महत्वपूर्ण, संवेदनशील हो व्यवहार: मुख्यमंत्री

April 11, 2023

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आपदकाल में पुलिस की त्वरित सहायता उपलब्ध कराने वाली यूपी-112
और महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की 1090 सेवा तथा उत्तर प्रदेश पुलिस की तकनीकी सेवाओं के कार्यों की
मंगलवार को समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए…

प्रदेश में जनसामान्य को आकस्मिक परिस्थितियों में कहीं भी कभी भी पुलिस की त्वरित सहायता उपलब्ध
कराने में यूपी 112 सेवा उपयोगी सिद्ध हुई है। कुशल और समर्पित पुलिसकर्मियों ने यूपी 112 को आमजन
की अपेक्षाओं के अनुरूप एक प्रोफेशनल सेवा के रूप में प्रस्तुत किया है। 112 के साथ 101, 108, 1090 और
181 आदि सेवाओं के एकीकरण, जीपीएस, रेडियो वायरलेस, मोबाइल/वेब एप जैसी तकनीक के प्रयोग ने इस सेवा
को अत्यधिक व्यावहारिक बनाया है। इस सेवा से जुड़े सभी पीआरवी कर्मी, ड्राइवर, तकनीकी सेवाएं दे रहे
प्रोफेशनल्स, कॉल सेंटर कार्मिकों, सिविल पुलिस के कार्मिक व अधिकारी बधाई के पात्र हैं।

112 जैसी आकस्मिक सेवाओं की उपयोगिता उसके क्विक रिस्पॉन्स पर निर्भर करती है। पीड़ित के फोन
कॉल करने और पीआरवी द्वारा उस तक मदद पहुंचाने में वर्ष 2016 में जहां औसतन 01 घंटे का समय लगता
था, आज इसे 9:44 मिनट तक लाने में सफलता मिली है। रिस्पॉन्स टाइम को कम करने के लिए वाहनों की
संख्या और कार्मिकों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। हर पीआरवी वाहन को जीपीएस डिवाइस से लैस किया
जाए। बॉडी वॉर्न कैमरे मुहैया कराए जाएं।112 पर कॉल रिसीव करने की क्षमता को और बढ़ाया जाए।

यह सुखद है कि जून 2016 से आज तक 112 पर मिली सूचनाओं में से 84% का तत्काल घटनास्थल पर
ही निराकरण कर दिया गया। पीआरवी वाहनों के खड़े होने की जगह स्थानीय जरूरतों के अनुसार तय की
जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि इस सेवा का किसी भी दशा में दुरुपयोग न हो।

रात्रि में आवश्यकतानुसार महिलाओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए एस्कॉर्ट बनाने का अच्छा प्रयास
हुआ है। कामकाजी महिलाओं को इससे बड़ा लाभ हुआ है। यह सुनिश्चित किया जाए कि महिलाओं को गंतव्य
तक पहुंचाने वाले वाहनों में महिला कॉन्स्टेबल की उपस्थिति जरूर हों।

आपात परिस्थितियों के बीच जनसामान्य को तत्काल सहायता मुहैया कराने के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन
नम्बर जारी किए गए हैं। पुलिस सहायता के लिए 112 नम्बर है तो अग्निशमन के लिए 101, एम्बुलेंस के लिए
108, वीमेन पावर लाइन के लिए 1090, महिला सहायता के लिए 181, बाल सहायता के लिए 1098 साइबर
हेल्पलाइन के रूप में 1930 जैसी हेल्पलाइन सेवाएं की सेवा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन
नम्बर के रूप में 1076 भी उपलब्ध है। इन हेल्पलाइन नंबर के बारे में आमजन को जागरूक किया जाए। इन
नंबरों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।

आकस्मिक हेल्पलाइन नंबरों पर प्राप्त होने वाली हर सूचना को पूरी गंभीरता से लिया जाए। पीड़ित के साथ
संवेदनशील व्यवहार हो। यथाशीघ्र समस्या का निस्तारण करने का प्रयास हो। पीड़ित की संतुष्टि को प्राथमिकता
दें।

प्रदेश के सभी 1758 थानों को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया जाए। यह कार्य प्राथमिकता के साथ तत्काल
पूरा किया जाना चाहिए।

तकनीक के बदलते दौर में पुलिस संचार प्रणाली को भी अपडेट किया जाना चाहिए। तकनीक की मदद से
आज मोबाइल फ़ोन वायरलेस सेट के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। मोबाइल फोन और वायरलेस सेट के
बीच संचार प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए। प्रारंभिक चरण में इसे बाराबंकी पुलिस में लागू किया जाए।

महिला एवं बाल सुरक्षा की दिशा में अभिनव प्रयास करते हुए राज्य सरकार द्वारा गठित महिला एवं बाल
सुरक्षा संगठन के द्वारा किये जा रहे प्रयास आज मॉडल बन रहे हैं। महिला सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन के
लिए मिशन शक्ति की पूरे देश में प्रशंसा हो रही है।

प्रदेश में पहली बार महिला पुलिस कर्मियों को बीट पुलिस के रूप में दायित्व दिया गया। आज 10,417
महिला बीट गठित हैं। महिला बीट अधिकारियों द्वारा 1 लाख 29 हजार से अधिक चौपाल आयोजित किया
जाना और उसमें 19 लाख महिलाओं की सहभागिता इसकी उपयोगिता प्रदर्शित करती है। महिला बीट

अधिकारियों को दोपहिया वाहन की सुविधा भी मुहैया कराई जाए। इस संबंध में शासन की ओर से आवश्यक
धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।

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