सावन के पहले सोमवार पर बन रहे हैं कई योग, पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त

पूरा सावन महीना ही शिव भक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है लेकिन सावन सोमवार का व्रत पूजा और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं। आज यानी 14 जुलाई को सावन का सोमवार रविवार पड़ रहा है। आइए ऐस्ट्रॉलजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं आज का (Aaj ka Panchang 14 July 2025) पंचांग।
आज यानी 13 जुलाई को सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन सावन का पहला सोमवार व्रत और गजानन संकष्टी चतुर्थी किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोमवार व्रत करने से मनचाहा वर मिलता है। साथ ही विवाह में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है। सावन में पहले सोमवार के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं पंचांग (Aaj ka Panchang 14 July 2025) और शुभ योग के बारे में।
तिथि: कृष्ण चतुर्थी
मास पूर्णिमांत: श्रावन
दिन: सोमवार
संवत्: 2082
तिथि: कृष्ण चतुर्थी रात 11 बजकर 59 मिनट तक
योग: आयुष्मान शाम 04 बजकर 14 मिनट तक
करण: बव दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक
करण: बालव रात्रि 11 बजकर 59 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 33 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 21 मिनट पर
चंद्रोदय: शाम 09 बजकर 55 मिनट पर
चन्द्रास्त: 15 जुलाई को सुबह 08 बजकर 53 मिनट पर
सूर्य राशि: मिथुन
चंद्र राशि: कर्क
पक्ष: कृष्ण
शुभ समय अवधि
अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक
अमृत काल: 15 जुलाई को रात्रि 11 बजकर 21 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
गुलिक काल: दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से 03 बजकर 54 मिनट तक
यमगंड काल: प्रात: 10 बजकर 43 मिनट से 12:27 मिनट तक
राहु काल: प्रात: 07 बजकर 16 मिनट से 09 बजे तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे..
धनिष्ठा नक्षत्र: प्रात: 06 बजकर 49 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: आत्मविश्वासी, शक्तिशाली, धैर्यवान, परिश्रमी, प्रसिद्धि, सौंदर्य, धन, कलात्मक प्रतिभा, स्वतंत्र स्वभाव, स्वार्थी, लालची, क्रोधी, विश्वसनीय और दानशील
नक्षत्र स्वामी: मंगल
राशि स्वामी: शनि
देवता: आठ वसु (भौतिक समृद्धि के देवता)
प्रतीक: ढोल या बांसुरी
आज का व्रत और त्योहार
(पहला सावन सोमवार, गजानन संकष्टी चतुर्थी)
पहला सावन सोमवार
सावन का महीना इस साल 11 जुलाई, शुक्रवार से शुरू हो चुका है। इस बार सावन में कुल 4 सोमवार के व्रत होंगे। सावन के हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा और व्रत रखना बहुत खास माना जाता है। मान्यता है कि सावन महीने में भगवान शिव धरती पर रहते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस साल सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को यानी आज है।
पूरा सावन महीना ही शिव भक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है, लेकिन सावन सोमवार का व्रत, पूजा और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं। खासतौर पर कुंवारी लड़कियों के लिए सावन का महीना अच्छा जीवनसाथी पाने का सुनहरा मौका माना जाता है।
पहले सोमवार की पूजा विधि-
स्नान के बाद शिव मंदिर जाएं या घर पर शिवलिंग स्थापित करें।
भगवान शिव, माता पार्वती, नंदी और गणेश जी की पूजा करें।
शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से अभिषेक करें (यदि संभव हो)।
फिर बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, फल और मिठाई अर्पित करें।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जप करें।
अंत में प्रसाद सबमें बांटें और परिवार के लोगों को भी खिलाएं।
गजानन संकष्टी चतुर्थी
हर साल सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गजानन संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन माताएं गणेश चौथ का व्रत करके अपनी संतान की दीर्घायु और कष्टों के निवारण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। इस साल गजानन संकष्टी चतुर्थी 14 जुलाई को ही मनाई जाएगी।
चतुर्थी अवधि-
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 14 जुलाई प्रातः 01 बजकर 02 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 14 जुलाई को रात्रि 11 बजकर 59 मिनट तक
गणेश पूजा की विधि-
सबसे पहले पूजा की जगह को अच्छी तरह साफ करें और वहाँ एक चौकी रखें।
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और कलश से थोड़े से जल को फूल की मदद से चौकी पर छिड़कें।
चौकी के दाईं ओर (आपकी बाईं तरफ) एक दीपक जलाएं।
फिर चौकी पर थोड़े से अक्षत (चावल) डालें और उस पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
फूल से गंगाजल छिड़क कर गणेश जी को स्नान कराएं और फिर फूलों से गणपति जी को सजाएं।
अब भगवान को हल्दी, कुमकुम, अक्षत और चंदन से तिलक करें, और खुद भी चंदन का तिलक लगाएं।
गणेश जी को वस्त्र स्वरूप मौली (कलावा) अर्पित करें।
फिर धूप और दीप जलाएं और भगवान गणेश को तिल के लड्डू, फल और नारियल का भोग लगाएं।
भगवान के सामने अपनी श्रद्धा अनुसार दक्षिणा (दान) रखें।
संकष्टी व्रत की कथा का पाठ करें और फिर गणेश जी की आरती करें।
रात में चाँद दिखने पर पंचोपचार विधि से चंद्रदेव की पूजा करें और कलश में दूध-जल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
अंत में पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद सबमें बांटें और खुद भी प्रसाद लें।
व्रत पारण की विधि-
इस व्रत का पारण रात में चाँद देखने के बाद किया जाता है।
जैसे ही चाँद दिखे, शुद्ध जल, फूल और अक्षत लेकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
चाँद को ध्यान से देखें और प्रार्थना करें कि आपके जीवन से सभी दुख दूर हों और हमेशा सुख-शांति बनी रहे।
इसके बाद व्रत रखने वाला व्यक्ति फलाहार या हल्का सात्विक भोजन करके व्रत खोल सकता है।