गुजरात के गत दो वर्षों में 430 शेर और तेदुओं की हुई मौत

गुजरात में गत दो वर्षों के दौरान कुल 430 शेर और तेदुओं की मौत हुई हैं। इनमें बाल शेर (बच्चे) और बाल तेंदुओं के प्राकृतिक और अप्राकृतिक मौत शामिल हैं। इनमें कुल 261 शेर और उनके बच्चों की मौत हुई हैं। राज्य के वनमंत्री गणपत वसावा ने विधानसभा में इसकी जानकारी दी। वे कांग्रेस के विधायक द्वारा पूछे गये प्रश्न के उत्तर का जवाब दे रहे थे। वसावा ने कहा कि शेरों के अप्राकृतिक मौत के बारे में किसानों को परेशान नहीं किया जाता। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के आधार पर प्राकृतिक और अप्राकृतिक मौत का निर्णय किया जाता है। इनमें 123 शावक (शेर के बच्चे), और 138 शेर-शेरनी शामिल हैं।

कांग्रेस के विधायक विक्रम माडम ने जानना चाहा था कि राज्य में गत दो वर्षों में कितने शेर और कितने बाल शेरों की मौत हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अप्राकृतिक मौत के बारे में वनकर्मी स्थानीय किसानों को परेशान करते हैं। कार्यवाही से बचने के लिए किसानों को रिश्वत देना पड़ता हैं।

इस प्रश्न के उत्तर में वनमंत्री गणपत वसावा ने कहा कि राज्य में गत दो वर्षों में शेर, बाल शेर, तेंदुआं और उनके बच्चों की मौत की अलग-अलग घटनाओं में मौत हुई हैं। इनमें 138 शेर और 123 उनके बच्चे हैं। उन्होंने बताय़ा कि इनमें सर्वाधिक 69 बाल शेरों की मौत 2019 में हुई।

वनमंत्री ने बताया कि इन दो वर्षों के दौरान कुल 250 तेंदुओं और 90 बाल तेंदुओं की मौत हुई हैं। इनमें 45 बाल तेदुओं की मौत 2018 और 45 की 2019 मे मौत हुई। पोस्टमार्टम से स्पष्ट हुआ है कि इनमें 16 बालतेंदुओं की अप्राकृतिक मौत हुई। वहीं दो वर्षों में 11 सिहों, 6 बाल सिंहों और 79 तेंदुओं की अप्राकृतिक मौत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि शेर, शेर के बच्चे, तेंदुआ और बाल तेंदुआ की अप्राकृतिक मौत को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा विविध प्रयास किए जाते हैं। उनकी चिकित्सा के लिए वेटरनरी चिकित्सकों की नियुक्ति की गयी हैं। रेलवे लाइन और कुओं के आस-पास तार की फेसिंग की जाती हैं। सासण गीर में वन प्राणियों की चिकित्सा के लिए आधुनिक अस्पताल भी बनाया गया हैं।

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