जिन मशीनों पर छपा था देश का संविधान, वह बिक गईं कबाड़ के भाव
भारत देश में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के बाद इस बार 71वां गणतंत्र दिवस मन रहा है। लेकिन देश का संविधान जिन मशीनों पर छपा था उन्हें अब कबाड़ में बेच दिया गया है। देहरादून की सर्वे ऑफ इंडिया ने हाथ से तैयार संविधान के शुरूआती Photolithographic Reproduction की एक कॉपी को तो संभाल कर रखा है, लेकिन जिन दो मशीनों पर इन्हें छापा गया था उसे पिछले साल कबाड़ में बेच दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन दोनों मशीनों को 1.5 लाख रुपए में बेच दिया गया है।
Survery Of India के अधिकारियों ने कहा कि Lighographic Plates को भी बहुत पहले स्क्रेप व्यापारियों की नीलामी में रखा गया था। पिछले साल सर्वे ऑफ इंडिया ने सोवेरियन (Sovereign) और मोनार्च (Monarch) मॉडल की दो मशीनों को कबाड़ में बेच दिया जिनका निर्माण UK की कंपनी RW Crabtree & Sons ने किया था। इन्हीं पर भारतीय संविधान की पहली कॉपी छापी गईं थीं।
अधिकारियों ने बताया कि इस मशीनों को पहले तोड़ा गया इसके बाद उन्हें पिछले साल बेच दिया गया। गौरतलब है कि सर्वे ऑफ इंडिया के देहरादून स्थित हाथीबरकला इलाके में स्थित नॉर्थन प्रिंटिंग ग्रुप ऑफिस ने इस मशीन पर संविधान की 1 हजार कॉपियों को छापा था। दो हाथों से लिखी कॉपियों की मदद से Lithograph Printing की गई थी।
कैलीग्राफर (Calligrapher) प्रेम बिहारी नारायण रायजादा (सक्सेना) ने संविधान को अंग्रेजी में लिखा था और वसंत कृष्ण वैद्य ने भारतीय संविधान को हिन्दी में लिखा था। इन कॉपियों पर नंदलाल बोस, ब्योहार राममनोहर सिन्हा और शांति निकेतन के अन्य कलाकारों द्वारा तस्वीरें बनाईं गईं थी।
इन मशीनों पर छापी गई पहली कॉपी अब भी नॉर्थन प्रिंटिंग प्रेस डिवीजन में सुरक्षित रखी गई है। सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया गिरीश कुमार कहते हैं कि इन दोनों मशीनों को मेंटेन करने की लागत बहुत ज्यादा आ रही थी, इसके अलावा तकनीक भी काफी अपडेट हो चुकीं हैं। उन्होंने बताया कि मशीनों को तोड़कर कबाड़ के भाव में उसकी नीलामी कर दी गई है।